नई दिल्ली। जीएसटी को लेकर आखिरकार बुधवार को लोकसभा में बहस शुरू हो गई। जिन बिलों पर लोकसभा में बहस हो रही हैं। वे सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी), इन्टीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी), यूनियन टेरिटरीज़ जीएसटी (यूटीजीएसटी) तथा जीएसटी मुआवज़ा कानून है। इन बिलों को संसद से स्वीकृति मिलने के बाद राज्य जीएसटी बिल राज्य विधानसभाओं में पेश किए जाएंगे। संसद के निचले सदन में बहस की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री ने चार बिलों से जुड़े जीएसटी को भारतीय विधायिका का अनूठा अनूभव करार दिया। इस पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने बिलों में मौजूद उन कमियों की ओर सदन का ध्यान दिलाया। जिनको दूर किया जाना आवश्यक है। मोइली ने एन्टी-प्रॉफिटीरिंग क्लॉज को बेहद निरंकुश करार दिया। उन्होंने कहा कि इसे मैं गेम चेंजर नहीं कह सकता। इसे बस एक छोटा कदम माना जा सकता है। इस दौरान उन्होंने सरकार पर संसद के उच्च सदन को दरकिनार करने का सीधा आरोप भी लगाया। मोइली ने कहा कि राज्यसभा देश के राज्यों की परिषद है। इसके बावजूद अहम बिलों पर चर्चा करने का उसके पास अधिकार नहीं है। जो सीधे-सीधे संघीय व्यवस्था पर एक प्रहार है, हमला है। ऐसे में मेरा मानना है कि राज्यसभा के सभी सदस्यों को इस्तीफा दे देना चाहिए। यूं तो लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है। ऐसे में यह आसानी से पारित हो जाएगा। राज्यसभा में सरकार इसे धन विधेयक के तौर पर पेश करेगी। जहां विपक्ष के पास बहुमत है। वे सिर्फ इसमें बदलाव का सुझाव दे सकती है। उसे मानना या न मानना सरकार पर निर्भर है। लोकसभा में चर्चा के बाद मतदान कराया जाएगा। यहां विपक्ष के पास बहुमत कम है। ऐसे में विपक्ष के सुझाए संशोधनों को खारिज कर दिया जाता है, तो कानून में शामिल नहीं किया जाएगा। सरकार का मुख्य जोर इस पर सहमति से पारित कराने की है। जीएसटी को लागू करने के लिए सरकार ने एक जुलाई की डेडलाइन तय कर रखी है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना होगा कि इन बिलों को पारित कराने की प्रक्रिया 12 अप्रेल तक हर हाल में पूरी कर ली जाए। इसके बाद संसद का बजट सत्र समाप्त हो जाएगा। माना जा रहा है कि जीएसटी आजादी के बाद अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार बिल है। जीएसटी के बाद बहुत से केंद्रीय तथा राज्यों के अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे। वहीं एक देश – एक कर व्यवस्था स्थापित कर देने वाले जीएसटी से देश की आर्थिक वृद्धि में आधा फीसदी की बढ़ोतरी होगी। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जीएसटी से राजस्व का दायरा बढ़ जाएगा और कंपनियों की लागत कुछ कम होगी। बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित अन्य सदस्य लोकसभा में उपस्थित रहे।

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