-बाल मुकुन्द ओझा
देश की राजधानी दिल्ली और राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित उत्तर भारत के अनेक राज्यों में मौसम के अज़ब गजब नज़ारे देखने को मिल रहे है। बताया जाता है मार्च के महीने में हो रही बारिश और ओला वृष्टि पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हो रही है। इसका संबंध कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन से भी है। इस वर्ष फरवरी में ही गर्मी ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया था और होली पूर्व तक गर्मी का प्रचंड स्वरूप देखने को मिला। मगर होली का त्यौहार आते आते मौसम ने एक बार फिर करवट बदली और अनेक प्रदेशों में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज आंधी देखने को मिली। इससे जहाँ लोगों को गर्मी से छुटकारा मिला वहीं खेतों में किसानों की फसल को भारी नुक्सान की जानकारी मिली है। राजस्थान में 13-14 मार्च से एक नए पश्चिमी विक्षोभ के पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। विक्षोभ के एक्टिव होने के बाद एक बार फिर से
आंधी-तूफान और बारिश के साथ ओलावृष्टि की आशंका जताई गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च माह में बारिश से सीधे-सीधे सरसों, गेहूं, सब्जियों, और आम-किनू जैसे फल उगाने वाले किसानों को भारी नुक़सान हुआ है। कृषि विशेषज्ञों को चिंता है कि इससे देश में गेहूं और अन्य फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उत्तर भारत में इस
समय आलू की खुदाई का सीज़न है। इस समय बारिश की वजह से खेत में आलू की खुदाई नहीं हो पाती है। और बार-बार पानी गिरने की वजह से आलू सड़ने लगता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बारिश के साथ-साथ ओलों और तेज हवा चलने से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है। क्योंकि तेज हवा में गेहूं के तने टूट जाते हैं जिससे अनाज़ का ठीक से विकास नहीं हो पाता है। और इस वजह से किसान की पैदावार घट जाती है। रिपोर्ट के अनुसार मौसम में आये इस बदलाव के दूरगामी परिणाम सब्जियां पैदा वाले किसानों और आम के बागानों पर पड़ेगा क्योंकि ओले गिरने से खेतों में बोई हुई सब्जियों की पौध खराब हो गई है वहीं आम के बगीचों में ओले गिरने से उन्हें भी नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही सब्जियों के भाव दुगुने चौगुने हो जायेंगे जिसका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ेगा। महंगाई पहले ही सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मौसमीय बदलाव के कारण खाद्य मुद्रास्फीति फिर से बढ़ती है तो इसका प्रभाव कई क्षेत्रों में देखने को मिल सकता है। इससे पूर्व मौसम विभाग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में 4 मार्च से 8 मार्च के बीच हल्की बारिश की संभावना जताई थी।

मौसम परिवर्तन और बीमारियों का चोली दामन का साथ है। राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, यूपी,एमपी आदि प्रदेशों से मिली खबरों के मुताबिक मौसम परिवर्तन के साथ ही मौसमी बीमारियां और वायरल बुखार ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया जिसके चलते चिकित्सालय में मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। रोगियों को घंटों लाइन में लगने के बाद चिकित्सक को दिखाने के लिए नंबर आ रहा है। मौसम परिवर्तन के साथ ही सर्दी, खांसी- जुकाम, चिकनगुनिया, डेंगू, वायरल बुखार, उल्टी- दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ी है। मच्छरों का प्रकोप भी बीमारियां बढ़ाने में सहायक हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते मौसमी बीमारियां बढ़ी हैं। इस मौसम में जोड़ों में दर्द, बदन दर्द, सिरदर्द, खांसी, जुकाम एवं बुखार होता है। बदलते मौसम में खान पान में सतर्कता रखनी जरूरी है। मौसम में आये
बदलाव के साथ ही मौसमी बीमारियों ने दस्तक दे दी है। घर घर में मौसमी बीमारियां से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती ही जारही है। अस्पतालों में बच्चे से बुजुर्ग तक इलाज के लिए लाइन में लगे देखे जा सकते है। इस समय मौसम ने जो अंगड़ाई ली है उसमें कभी गर्मी और कभी ठंडक का एहसास हो रहा है। मौसम का यह बदलाव मानव के स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। इससे बचने का एक मात्र उपाय सतर्कता और जागरूकता ही है। यह बीमारियां आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर कई बार आपके आंतरिक अंगों को भी प्रभावित करती हैं। इनसे बचने के लिए सावधानी रखना बेहद आवश्यक है।

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