Case of abuse of girl child

जयपुर । एक बार मुकदमा चलाने की स्वीकृति से इंकार करने तथा बाद में कोई भी नई साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने पर भी अभियोजन स्वीकृति जारी करने के मामले में सीबीआई मामलों की विश्ोष अदालत क्रम-एक में जज निर्मल सिंह मेड़तवाल ने पूर्व राय को अकारण ही परिवर्तन करने को दूषित एवं अवैध मानते हुए दूरसंचार विभाग, भारत सरकार की ओर से एक मई, 2०13 को जारी की गई अभियोजन स्वीकृति को रद्द कर दिया है। जिससे आरोपी रहे फतेह सिंह मीणा तत्कालीन उप महाप्रबंधक, टेलीकॉम प्रोजेक्ट, बीएसएनएल जयपुर, निवासी टोडाभीम-करौली को 5 साल बाद अदालत से बड़ी राहत मिल गई है।

इस मामले में सीबीआई ने चालान के साथ कोर्ट में 5० गवाहों की सूची पेश की थी। जिनमें से 16 गवाहों के बयान लेखबद्ध हो चुके हैं। कोर्ट ने सीबीआई की कार्यवाही को दूषित बताते हुए प्रार्थी मीणा का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर अग्रिम कार्यवाही को निरस्त कर दिया। प्रार्थी के एडवोकेट आर.के. जैन ने कोर्ट को बताया कि अभियोजन अधिकारी द्बारा दबाव में गैर कानूनी तथ्यों के आधार पर एवं अपने अधिकार क्ष्ोत्र से परे जाकर अभियोजन स्वीकृति जारी की गई है। अधिकारी ने अपने स्वतंत्र मस्तिष्क का भी उपयोग नहींे किया है।

1 मई, 2०13 के अभियोजन स्वीकृति आदेश केवल इस आधार पर जारी किया गया है कि प्रार्थी ने अपनी आवाज का सैम्पल जांच अधिकारी को नहीं दिया है। जबकि संविधान का यह सिद्धान्त है कि किसी भी व्यक्ति को उसके विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। प्रार्थी की ओर से यह भी दलील दी गई कि पीएस जारी करने वाली गवाह मिशा वाजपेयी ने भी अपराध नहीं माना है।

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