MNREGA, Modi government
MNREGA, Modi government

नयी दिल्ली. केन्द्र ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून एक‘‘ बहुत ही बड़ी जनहित परियोजना’’ है और दुनिया के किसी भी देश ने ऐसी कवायद नहीं की है जिसमे रोजाना दस लाख भुगतान किये जा रहे हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की दो सदस्यीय खंडपीठ से केन्द्र सरकार ने कहा कि इस कानून के तहत वह राज्यों को समुचित धन उपलब्ध करा रही है ओर गैर सरकारी संगठन के इस दावे का खण्डन किया कि इस योजना के अंतर्गत केन्द्र से पर्याप्त धन नहीं मिलने की वजह से वे लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं।

अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, ‘‘ यह( मनरेगा) खाद्य सुरक्षा की तरह ही एक बहुत बड़ी जनहित की परियोजना है और इस कानून के तहत रोजाना करीब दस लाख भुगतान किये जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया का कोई भी दूसरा देश इस तरह की परियोजना नहीं शुरू कर सका है जिसमे रोजाना दस लाख भुगतान किये जाते हैं।’’ अटार्नी जनरल ने कहा कि जब भी राज्यों ने इस योजना के अंतर्गत केन्द्र से अधिक धन की मांग की है तो उसे उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कभी कोई कमी हो सकती है लेकिन सरकार को इसकी जानकारी मिलते ही इसे दूर किया जाता है।

दूसरी ओर गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान के वकील प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि राज्यों ने केन्द्र से इस कानून के तहत उपलब्ध कराये गये रोजगार के भुगतान के लिये बजट बढ़ाने का अनुरोध किया है। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई19 मार्च के लिये स्थगित कर दी है। इससे पहले, भूषण ने दलील दी थी कि केन्द्र सरकार राज्यों को इस योजना के अंतर्गत मांगे जा रहे अनुमानित धन को कम करने के लिये बाध्य कर रही है और इसकी वजह से राज्य सरकारें लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं।

LEAVE A REPLY