Jammu Kashmir, Ladakh, Union Territory
jaipur. भारत राष्ट्र के लिए 5 अगस्त 2019 का दिन भी विशिष्ट हो गया, क्योंकि राष्ट्रीय चेतना की सुप्तधारा को नई दिशा मिली और राष्ट्र निर्माण के प्रति चल रहे जन जागरण को नई चेतना और जागृति भी मिली है।
लेकिन जैसा कि हमेशा होता आया है कुछ लोग स्वयं को हमेशा राष्ट्र से ऊपर मानते हैं और केवल निजी हितों के लिए आम जनता की उपेक्षा उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है ।
और इसी तरह के लोगों ने भारत सरकार के इस बेहतरीन कदम का विरोध भी शुरू किया है।
राहुल गांधी जी ट्विटर पर कहते हैं जमीन का टुकड़ा राष्ट्र नहीं बनाएगा।
तो फिर देश की जनता उनसे पूछना चाहेगी कि अगर राहुल जी आपकी  नजर में जमीन का महत्व नहीं है तो क्या आप उन शहीदों को भी भूल जाओगे जिन्होंने मां भारती की एक-एक इंच जमीन की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
आदरणीय राहुल जी आप तो अपने आप में विद्वता के पर्याय हो , तो आपकी नजर में राष्ट्रवाद क्या है?  देश प्रेम क्या है ? इसका अर्थ और अभिप्राय मेरे भारत की भोली जनता को भी आप समझा दोगे क्या यह उम्मीद हम जैसे निस्वार्थ राष्ट्रवादी आप से कर सकते हैं?
मेरे प्रिय देशवासियों आज मुझे लगा की जो क्रूर होता है कपटी होता है छलिया होता है वह चाहे मौन व्रत धारण करें चाहे रूप परिवर्तन करें ,लेकिन उसके स्वभाव की परिणीति कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में छलक की जाती है ।
और राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद कांग्रेसी मानसिकता का छुपा हुआ घिनौना चेहरा भी सामने आ चुका है।
लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज ए दिल का गहरा।
वक्त पर सामने आ ही जाता है असली ,नकली चेहरा। ।
और जो अपनी मातृभूमि के लिए विशद रूप में नहीं सोच सकता उसके लिए किस शब्द का प्रयोग करूं मेरी लेखनी इससे भी कतराती है।
सम्माननीय देशवासियों अब जब भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के संबंध में वर्षों से लंबित जन भावना को मूर्त रूप प्रदान किया है , और  राहुल गांधी जैसे  व्यक्ति आमजन की भावना के अनुरूप उठे इस कदम का भी  विरोध कर रहे हैं तब आप सभी से मैं तो यही कहना चाहूंगा कि
कब तक क्रूर प्रहार सहेगे? कब तक अत्याचार सहेगे?
कब तक हाहाकार सहेगे ? उठो राष्ट्रप्रेम से  अभिभूत सभी अभिमानी,
सावधान रहो ऐसे निजी स्वार्थी लोगों से आप सभी मेरे साथी सेनानी। ।
‘हम मौन थे क्या हो गये,
और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें बैठकर
ये समस्यायें सभी.’’।
सच तो यह है कि महाभारत में भी पांडवों को आत्मसम्मान और अधिकार के लिए लड़ना पड़ा था, नहीं तो सदियों तक दुर्योधन के अत्याचार को भोगना पड़ता। गुलाम रहना पड़ता। राम को भी रावण से युद्ध करना पड़ा था। राक्षसी प्रवृत्तियां समर्पण की भाषा नहीं जानती।
इसलिए राष्ट्रभक्त  और मां भारती के प्रति निस्वार्थ समर्पित साथियों आप सभी से राष्ट्रप्रेम को सर्वोपरि रखते हुए मेरा यह आह्वान है  कि आप सभी चुप्पी को त्यागो और अभिव्यक्ति के मिले हुए अधिकार से भारत सरकार के जनहित में उठाए गए कदम का समर्थन कर राष्ट्र के विरोधियों को बता दो की मां भारती के सपूत चुप नहीं रहेंगे मां भारती के सम्मान के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर देंगे ।
जय मां भारती ।
डाक्टर आलोक भारद्वाज
स्वतंत्र  विश्लेषक

LEAVE A REPLY