-बेवा को मुआवजे में मिली राशि को बेटी की शादी में खर्च करने की नहीं मिली इजाजत
जयपुर। देश-भर में शादियों में भारी-भरकम राशि खर्च करने के बढते चलन पर राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश एस पी शर्मा की एकलपीठ ने चिन्ता जताते हुए केन्द्ग सरकार एवं राज्य सरकार को कोर्ट मैरिज तथा प्राचीन काल में मंदिरों में शादियां होने को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में फिजूल खर्च रोकने के लिए कानून बनाने के संबंध में कदम उठाने के निर्देश दिये है। हाईकोर्ट ने कहा कि शादी में खर्च को लेकर अब एक व्यक्ति दूसरे को पीछे छोड़ना चाहता है।

समाज में परिवार के स्तर का अंदाजा भी उसकी ओर से शादी में किए गए खर्च को देखकर ही लगाया जाने लगा है। जिसके कारण लोग कर्जे लेकर अपनी संपत्ति खो रहे हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने याची बेवा फूलीदेवी व अन्य को मुआवजे में मिली राशि को बेटी की शादी में खर्च करने की इजाजत देने से इंकार करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को विवाह के इंतेजाम करनÞ के निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता विधवा की पुत्री के विवाह के इंतेजाम करे।

हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि परिवार के कमाऊ सदस्य की मौत के बदले मिले मुआवजे को ऐसे समारोह में खर्च करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। याची को यह राशि सामाजिक सुरक्षा के लिए दी गई है। ज्ञातव्य है कि पति की दुर्घटना में हुई मौत पर यह मुआवजा राशि मिली थी। बेवा ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए जमा एफडी को समय से पूर्व खुलवाने की अनुमति मांगी थी। जबकि वह 4,75,००० रुपए पहले ही निकलवा चुकी है। अब वह 2,75,००० रुपए और निकालना चाह रही है।

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