– हाईकोर्ट ने एसीबी की एफआईआर और ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामले को रद्द करने के आदेश दिए
जयपुर. बीवीजी कंपनी के बकाया भुगतान के बदले रिश्वत के मामले में आरएसएस प्रचारक निंबाराम को सोमवार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने निंबाराम के खिलाफ दर्ज एसीबी की एफआईआर और ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामले को रद्द करने के आदेश दिए हैं। एसीबी के तर्क को पूरी तरह खारिज कर दिया गया है। निंबाराम अब इस मामले में पूरी तरह बरी हो गए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश को कांग्रेस सरकार के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है। निंबाराम ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 27 फरवरी को लिखित बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुकदमे को खारिज करने के आदेश दिए। जयपुर ग्रेटर नगर निगम में बीवीजी कंपनी के बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में एसीबी ने केस दर्ज किया था। 10 जून 2021 को वीडियो सामने आने के बाद निंबाराम के अलावा जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे और संदीप चौधरी के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। राजाराम गुर्जर और बाकी आरोपी जेल में रहे थे। हाईकोर्ट ने निंबाराम को बरी करने के साथ ही बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे और संदीप चौधरी की याचिका को खारिज कर दिया। दोनों पर रिश्वत देने का आरोप है। निंबाराम ने हाईकोर्ट में एसीबी में दर्ज मामले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। निंबाराम ने कहा था कि इस मामले में उनका नाम राजनीतिक द्वेष के चलते शामिल किया है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। निंबाराम ने याचिका में यह भी तर्क दिया था कि जिस वीडियो के आधार पर एसीबी ने केस दर्ज किया, उसमें रिश्वत को लेकर उनकी ओर से कोई बातचीत नहीं है। ऐसे में एसीबी ने सरकार के दबाव में आकर एफआईआर में नाम शामिल किया है। निंबाराम ने इसी के आधार पर हाईकोर्ट से एसीबी की एफआईआर से नाम हटाए जाने की याचिका लगाई। उन्होंने अपने खिलाफ एसीबी की ओर से की जा रही जांच को रोकने की गुजारिश की थी।
– सरकार ने पुलिस तंत्र का इस्तेमाल किया
राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा निंबाराम को हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट का फैसला बताता है की अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ पुलिस तंत्र के इस्तेमाल का पर्दाफाश हो गया। न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन सत्य कभी हार नहीं सकता। सत्ता में बैठे लोगों को आगाह करना चाहता हूं कि जीवन समर्पित करने वाले व्यक्तित्व को षड्यंत्र का ताना-बाना नहीं बनाएं। नहीं तो सारी चीजें महंगी पड़ेंगी। बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने कहा कांग्रेस ने मानहानि और चरित्र हनन करने का प्रयास किया था। कोशिश की गई कि भ्रष्टाचार जैसे घिनौने कृत्य में फंसा कर उनका चरित्र हनन किया जाए। हाईकोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी करके उनके नाम को डिलीट कर दिया है। इसका मतलब है कि उनका इस मामले से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है।

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