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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद ओबीसी वर्ग की सूची का पुन परीक्षण नहीं करने के मामले में केन्द्र व राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि अदालती आदेश की पालना कैसे की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने शपथ पत्र पेश करने के लिए सरकार को दो अगस्त का समय दिया है।

न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपपीठ ने यह आदेश मूलसिंह व अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय ओबीसी आयोग को भंग कर उसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए उपाय किए गए हैं। इसके लिए संसद में पेश बिल लंबित है। इसलिए अदालती आदेश की पालना में समय लगेगा। वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य ओबीसी आयोग अधिनियम, 2017 पारित किया गया है।

जिसके तहत हर दस साल में सूची का पुन: परीक्षण करने का प्रतिबंध नहीं है। इसके अलावा यदि पुन: परीक्षण किया गया तो सरकार पर सौ करोड़ रुपए का भार पडेगा। जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी ने कहा कि हाईकोर्ट ने 10 अगस्त 2015 को ओबीसी सूची का पुन: परीक्षण करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी आदेश की पालना नहीं की गई है। आरक्षण सामान्य वर्ग का हक लेकर उसे पिछडे को देना है, लेकिन इससे पहले पिछडे वर्ग का अध्ययन और समीक्षा किया जाना जरूरी है। केन्द्र व राज्य सरकार ने 1994 के बाद कोई अध्ययन ही नहीं किया है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश कर आदेश की पालना करने की जानकरी देने को कहा है।

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