Settlement of objections filed against the food items found in hostels

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को आदेश दिए हैं कि वह प्रदेश के सरकारी हॉस्टल और आवासीय स्कूलों में सप्लाई हो रही खाद्य सामग्री के संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से पेश की जाने वाली आपत्तियों की जांच तीन माह में पूरी करे। अदालत ने इस संबंध में याचिकाकर्ता को अपना विस्तृत अभ्यावेदन विभाग में पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश भागीरथ सिंह की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए दिए।

याचिका में कहा गया कि प्रदेश में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधीन सात सौ से अधिक सरकारी हॉस्टल और 19 आवासीय स्कूल हैं। इनमें करीब 42 हजार बच्चे रहते हैं। इन्हें खाद्य सामग्री सहित दैनिक उपभोग के सामान की गुणवत्ता व मात्रा के नियम बने हुए हैं। इसके अलावा काम आने वाले साबुन और टूथपेस्ट आदि के ब्रांड तय है। इनकी सप्लाई के लिए सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग कॉनफेड को प्रति व्यक्ति एक हजार 45 रुपए का भुगतान करता है, लेकिन कॉनफेड ने एक निजी फर्म को प्रति व्यक्ति 999 में ठेका दे दिया और बिना कुछ किए एक करोड़ 39 लाख रुपए की कमाई कर ली है। याचिका में कहा गया कि कल्याणकारी कार्यक्रम में सरकारी एजेन्सी मुनाफाखोरी नहीं कर सकती।

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