The patient has the right to choose a hospital for better treatment.

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि बेहतर इलाज के लिए अस्पताल चुनने का मरीज को अधिकार है। राज्य सरकार उस पर पाबंदी नहीं लगा सकती। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता की पत्नी के घुटने के प्रत्यारोपण पर खर्च हुई चिकित्सीय खर्च की राशि का नौ फीसदी ब्याज सहित तीन माह में पुनर्भरण करे। न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. हरदेव राम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में अधिवक्ता अनूप ढंड ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी के घुटने का प्रत्यारोपण राज्य सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त अहमदाबाद के निजी अस्पताल से वर्ष 2013 में कराया था।

जिसका खर्च चार लाख चालीस हजार रुपए का आया। याचिकाकर्ता ने जब पुनर्भरण के लिए बिल पेश किए तो राज्य सरकार ने यह कहते हुए भुगतान करने से इंकार कर दिया कि याचिकाकर्ता ने सरकार की अनुमति लिए बिना प्रदेश से बाहर इलाज कराया है। जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि अस्पताल सरकार से मान्यता प्राप्त है। ऐसे में उसे पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं थी। इसके अलावा यह मरीज का अधिकार है कि वह कौनसे अस्पताल में अपना इलाज कराता है। राशि का पुनर्भरण करने के लिए सरकार को केवल यह देखना है कि संबंधित अस्पताल मान्यता प्राप्त है या नहीं। ऐसे में याचिकाकर्ता के बिलों का भुगतान रोकना अवैध है। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि अस्पताल चुनने का अधिकार मरीज का है। इसके साथ ही अदालत ने चिकित्सीय खर्च का पुनर्भरण तीन माह में नौ फीसदी ब्याज सहित करने को कहा है।

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