जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वे 26 मई तक दस्तावेज पेश कर बताए कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने 73 फीसदी इस्तगासों को झूठा बताया था। अदालत ने कहा कि हम जानते हैं कि मजिस्ट्रेट 156(3)के तहत कैसे एफआईआर दर्ज करने के आदेश देते हैं और फिर हाईकोर्ट उन्हें आपराधिक याचिकाओं में खारिज करती है। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश पूनम चन्द भंडारी की ओर से दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दोनों राजनेताओं के बयान को गलत साबित करने के संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि महाधिवक्ता से अवमानना याचिका दायर करने की अनुमति लेने के दौरान हुई बहस के दौरान दोनों राजनेताओं के बयान के समर्थन में सरकार ने कोई दस्तावेज पेश नहीं किया। इससे साबित है कि मुख्यमंत्री ने गलत बयान दिया है। अदालत की ओर से दस्तावेज मांगने पर याचिकाकर्ता की ओर से समय मांगा गया। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को 26 मई तक दस्तावेज पेश करने को कहा है।

अवमानना याचिका में कहा गया कि 26 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सीआरपीसी की धारा 156(3) के दुरुपयोग और ऐसे 73 फीसदी मामलों को झूठा बताया। वहीं गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने भी मुख्यमंत्री राजे के समान ही बयान दिया। इनके बयान न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले हैं।

 

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