-जनप्रहरी एक्सप्रेस
नई दिल्ली. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तीन साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दिल्ली के प्रगति मैदान अखिल भारतीय शिक्षा समागम में पहुंचे। दो दिन तक चलने वाला यह कार्यक्रम भारत मंडपम में आयोजित किया जा रहा है, जिसका इनॉगरेशन मोदी ने 26 जुलाई को किया था। इस दौरान PM ने 14 हजार 500 पुराने स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए पीएम श्री स्कीम के तहत दी जाने वाली रकम की पहली किस्त जारी की। कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि यह शिक्षा ही है जो देश की किस्मत बदलने की ताकत रखती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम और भविष्य की तकनीक को समान महत्व दिया है। हमारी शिक्षा प्रणाली आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है। मुझे खुशी है कि हम चर्चा और संवाद की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। पीएम श्री स्कीम का पूरा नाम प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया है। इसके तहत देश के 14 हजार 500 पुराने स्कूलों का अपग्रेडेशन करके उन्हें आधुनिक विद्यालयों में बदलना है। इससे स्कूलों को मॉडर्न बनाकर बच्चों को स्मार्ट एजुकेशन से जोड़ा जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत साल 2022-23 से 2026 तक पांच साल में इन स्कूलों पर कुल 27 हजार 360 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अपग्रेड किए गए स्कूलों में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के मुताबिक पढ़ाई होगी। और स्कीम के तहत चुने गए स्कूल अपने-अपने क्षेत्रों के दूसरे स्कूलों को मेंटरशिप देंगे और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के गोल अचीव करने के लिए लीडरशिप भी देंगे। इस स्कीम के तहत ग्रीन स्कूल डेवलप किए जाएंगे। इनमें सोलर पैनल, LED लाइट, वेस्ट मैनेजमेंट, जीरो प्लास्टिक यूज और जल संरक्षण को शामिल किया जाएगा। साल 2020 में नई एजुकेशन पॉलिसी को लागू किया गया था। 1986 के बाद यानी 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति में बदलाव हुआ था। इसमें बच्चे के प्राइमरी स्कूल में एडमिशन से लेकर हायर एजुकेशन कर जॉब फोर्स से जुड़ने तक काफी बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट इसरो के वैज्ञानिक रह चुके शिक्षाविद के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने बनाया था। 6 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर फोकस होगा। इसके लिए नेशनल मिशन बनेगा। पूरा फोकस होगा कक्षा 3 तक के बच्चों का फाउंडेशन मजबूत बने। कक्षा 5 तक तक आते-आते बच्चे को भाषा और गणित के साथ उसके स्‍तर का सामान्य ज्ञान होगा। डिस्कवरी और इंटरेक्टिवनेस इसका आधार होगा यानी खेल-खेल में सारा सिखाया जाएगा। कक्षा 6-8 तक के लिए मल्‍टी डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। एक्टिविटीज के जरिये पढ़ाएंगे। कक्षा 6 के बच्‍चों को कोडिंग सिखाएंगे। 8वीं तक के बच्चों को प्रयोग के आधार पर सिखाया जाएगा। कक्षा 9 से 12 तक के बच्‍चों के लिए मल्टी-डिसीप्लीनरी कोर्स होंगे। यदि बच्चे की रुचि संगीत में है, तो वह साइंस के साथ म्यूजिक ले सकेगा। केमेस्ट्री के साथ बेकरी, कुकिंग भी कर सकेगा। कक्षा 9-12 में प्रोजेक्‍ट बेस्ड लर्निंग पर जोर होगा। इससे जब बच्‍चा 12वीं पास करके निकलेगा, तो उसके पास एक स्किल ऐसा होगा, जो आगे चलकर आजीविका के रूप में काम आ सकता है।

LEAVE A REPLY