High Court

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रामगढ़ बांध सहित प्रदेश के अन्य जल स्त्रोतों से अदालती आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाने के संबंध में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। अदालत ने अफसरों को चेतावनी दी है कि यदि शपथ पत्र में गलत जानकारी दी गई तो सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अदालत ने इस संबंध में मुख्य सचिव और प्रदूषण नियत्रंण मंडल को मॉनिटरिंग करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने 3 मई को दौसा कलक्टर को पेश होने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान जेडीए सचिव, निगम आयुक्त, वन, राजस्व, उद्योग और खान विभाग सहित अन्य विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव पेश हुए। अदालत के पूछने पर निगम आयुक्त ने कहा कि जयसिंहपुरा खोर के एसटीपी प्लांट से 15 एमएलडी पानी बिना ट्रीट हुए कानोता बांध में जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का जलमहल प्रकरण में स्टे होने के कारण नाले की मरम्मत नहीं हो पा रही है। इस पर अदालत ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण कानून की अवहेलना और अदालती आदेश की अवमानना करने पर क्यों न उन्हें जेल भेज दिया जाए। वहीं अदालत ने प्रदूषण नियत्रंण मंडल के चैयरमेन को कहा कि उनके पास अफसरों पर कार्रवाई का अधिकार है। इसके बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। इसके साथ ही अदालत ने वन विभाग के अधिकारी से पूछा कि रामगढ़ बांध इलाके में कुल चार सौ एनिकट हैं। इन एनिकटों से कितने वन क्षेत्र का विस्तार हुआ है। जब इन एनिकटों में कुल 17 दिनों से अधिक पानी नहीं रहता तो इनका निर्माण क्यों किया गया। इनके कारण ही पानी बांध तक नहीं पहुंच रहा।

अदालत ने विभागवार अफसरों को बुलाते हुए उन्हें कडी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि केवल कागजों में आदेश जारी किए जा रहे हैं। अफसर धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि रोड बनने के अगले दिन वह धंस जाती है। अदालत ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस शहर में सीवरेज है वहां एसटीपी नहीं है और जहां एसटीपी लगाई वहां सीवरेज की लाइन ही नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को यह नहीं पता की कौनसी भूमि कैचमेट एरिया की है और कौनसी चारागाह या खातेदारी की। अदालत ने एसीएस राजस्व को कहा कि अधिकारियों की सेवा करने पर अवैध रूप से कॉलोनी बसा दी जाती है। अदालत ने जेडीए को कहा कि जल स्त्रोत सूख जाता है तो जेडीए उस पर कॉलोनी काटने की योजना बना लेता है। इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख वन सचिव को तलब कर टिप्पणी करते हुए कहा कि जहां वन विभाग शुरू होता है वहां वन समाप्त हो जाते हैं।

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