जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने रामगढ़ बांध सहित प्रदेश के अन्य जल स्त्रोतों के बहाव क्षेत्र में हुए अतिक्रमण के मामले में भरतपुर कलक्टर और यूआईटी सचिव को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि जिले में नदी-नालों में अतिक्रमण की क्या स्थिति है। इसके साथ ही अदालत ने नदी-नालों के डूब क्षेत्र की भूमि का आवंटन और नियमन नहीं करने को कहा है। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि पाली और बालोतरा के संबंध में वर्ष 2007 में दिए आदेशों की पालना में क्या कार्रवाई की गई और वर्तमान में प्रदूषण के क्या हालात हैं। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 5 जुलाई को तय की है। सुनवाई के दौरान भरतपुर कलक्टर और यूआईटी सचिव सहित प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी अदालत में पेश हुए। महाधिवक्ता ने पाली और बालोतरा के एसटीपी प्लांट को लेकर रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा। अदालत ने प्रदूषण बोर्ड के अफसरों से कहा कि यदि वर्ष 2007 के अदालती आदेश की पालना कर ली जाती तो वहां हालात खराब नहीं होते। अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि दोषी अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र डांगाी और अशोक भार्गव ने पांच विभागों की ओर से पेश शपथ पत्रों पर अपने जवाब पेश हुए। मॉनिटरिंग कमेटी ने कहा कि कई विभागों के शपथ पत्रों के तथ्य परस्पर विरोधाभासी हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर अतिक्रमण की जानकारी मांगी है।