– ट्रांसफर केस कैट में पेंडिंग होने के बावजूद हाईकोर्ट में याचिका पर कोर्ट नाराज
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आईपीएस पंकज चौधरी का ट्रांसफर से जुड़ा केस सेंट्रल एडमिनस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में पेंडिंग होने बावजूद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर गहरी नाराजगी जताते हुए चौधरी पर 50 हजार रुपए की पेनल्टी लगा दी। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की डिविजनल बेंच ने पंकज चौधरी की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा लोगों को इस तरह की याचिकाएं लगाने की आदत सी हो गई है, जिसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसी याचिकाएं कोर्ट का कीमती समय भी खराब करती हैं। ट्रिब्यूनल की ओर से याचिकाकर्ता के पक्ष में इंटरिम ऑर्डर होने के बावजूद हाइकोर्ट में यह याचिका पेश की गई थी जबकि ट्रिब्यूनल में ही मामला उठाना चाहिए था। यह ज्यूडिशियल प्रोसेस का गलत इस्तेमाल है। इसलिए याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपए बतौर पेनल्टी एक महीने में राजस्थान स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी में जमा करवानी होगी।
आईपीएस पंकज चौधरी की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट तनवीर अहमद ने कहा कि कैट के ऑर्डर को राज्य सरकार नहीं मान रही है। उसके स्टे ऑर्डर को दरकिनार करते हुए ट्रांसफर वाली जगह जॉइनिंग करने को याचिकाकर्ता को कहा गया है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा अगर मामले में कंटेम्प्ट बनता है, तो याचिकाकर्ता को कैट में जाना चाहिए। कैट पहले ही उसे रिलीफ दे चुका है। याचिका में कहा गया कि राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने 30 जून को याचिकाकर्ता का तबादला एसडीआरएफ के एसपी पोस्ट से कम्युनिटी पुलिसिंग में एसपी की पोस्ट पर कर दिया। जबकि कैट ने 6 जुलाई को इंटरिम ऑर्डर में रिलीव नहीं होने की सूरत में याचिकाकर्ता को पुराने पद पर ही काम करते रहने को कहा था। ट्रिब्यूनल ऑर्डर के बावजूद प्रदेश सरकार ने 12 जुलाई को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को नई पोस्ट का वर्कचार्ज सम्भालने को कह दिया। जबकि आईपीएस पंकज चौधरी को अब तक पुरानी पोस्ट से रिलीव नहीं किया गया था। लेकिन रोक के बाद जारी 12 जुलाई का आदेश रिलीविंग आदेश के समान ही है। इसलिए याचिकाकर्ता को पुराने पद पर ही बना रहने दिए जाने की मांग की गई। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए की पेनल्टी लगा दी।

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