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delhi.विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) के वैज्ञानिकों ने आईआईएसईआर पुणे और पेरिस के ड्रेट्राट यूनिवर्सिटी के साथ किए शोध में इस बात का पता लगाया है कि एक्सॉन में मौजूद लचीले रॉड के आकार के अणु, स्प्रेक्ट्रिन उन्हें खिंचाव-से होने वाली क्षति से बचाने के लिए रक्षाकवच यानी कि शॉक अब्जार्बर की तरह काम करते हैं।

यह अध्ययन सिर में लगने वाली चोटों के साथ-साथ तंत्रिका में खिंचाव से होने वाली क्षति को समझने और उसके उपचार में मददगार हो सकता है।

एक्सॉन, यानी कि अक्षतंतु, तंत्रिका कोशिकाओं के लंबे ट्यूब के आकार के विस्तार हैं, जो लंबी दूरी तक मस्तिष्क के विद्युत संकेतों को प्रसारित करते हैं। मानवों के मामलें में इनकी लंबाई एक मीटर तक हो सकती है। इस लंबे आकार के कारण मानवों में किसी भी तरह की शारीरिक क्रिया के दौरान इनमें खिंचाव से क्षति होने की संभावना काफी रहती है। शरीर में इस तरह की लंबाई में, वे अंग या अन्य शारीरिक आंदोलनों के अपने दौरान बड़े खिंचाव विकृति के अधीन होते हैं। मस्तिष्क में भी एक्सॉन कई तरह की अहम विकृतियों से गुजरते हैं, यहां तक ​​कि कूदने जैसी सामान्य गतिविधियों के दौरान भी इनमें किसी किस्म की विकृति हो सकती है क्योंकि मानव मस्तिष्क खाने वाली एक नरम जालीदार जेली के समान होता है।

इस तरह के खिंचाव से होने वाले नुकसान से खुद को बचाने के लिए एक्सॉन क्या विशेष रणनीति अपनाते हैं, इसका पता लगाने के लिए किए गए शोध में आखिरकार वैज्ञानिकों की खोज, स्पेक्ट्रीन, अणु पर जाकर खत्म हुई जो वास्तव में एक साइटोस्केलेटल प्रोटीन है।

जर्नल ई-लाइफ में प्रकाशित अपने शोध में, प्रोफेसर प्रमोद पुलरकाट और आरआरआई की उनकी टीम ने यह बताया कि बचाव के लिए न्यूरोनल कोशिकाओं ने एक बल के रूप में पीजो ड्राइव से जुड़े एक ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग करके एक चतुर रणनीति विकसित की है। जिसके माध्यम से वे एक्सान का विस्तार कर खिचांव को मापने का काम करती हैं। एक्सोन के साथ मापा गया परिणामी तनाव एक्सोनल साइटोस्केलेटन (बायोपॉलिमर से मिलकर) से आता है, जिसमें से स्पेक्ट्रिन एक हिस्सा है। डॉ. सुशील दुबे इस शोध पत्र के प्रमुख लेखक हैं।

आरआरआई की टीम को हाल ही में एक खोज से इस बात का पता चला कि एक्सॉन में एक आवधिक पाड़ (स्काफ्फोल्ड) सा होता है, जिसमें लंबे वर्णक्रमीय प्रोटीन अणुओं की व्यवस्था होती है। इस पूरे ढ़ाचे का कार्य एक जटिल पहेली था। विशिष्ट साइटोस्केलेटल घटकों को बाधित करने के लिए जैव रासायनिक या आनुवंशिक रूप से संशोधित अक्षतंतु (एक्सॉन) पर आरआरआई टीम द्वारा किए गए प्रयोगों से पता चला कि स्पेक्ट्रिन, पाड़ की एक प्रमुख यांत्रिक भूमिका में है।

इससे पहले किए गए एकल-अणु प्रयोगों से यह जानकारी मिली थी कि स्पेक्ट्रिन अणुओं में कई मुड़े हुए हिस्से होते हैं जो जब प्रोटीन को खींचते और छोड़ने का काम करते हैं तो यह आणविक धौंकनी के रूप में कार्य करता है। इस तरह के तंत्र का वर्णन करने वाले गणितीय मॉडल के साथ एक्सोन पर विस्तृत तनाव माप की तुलना करके, आरआरआई टीम ने यह दिखाया कि यह प्रक्रिया किस तरह से अक्षतंतु को तनाव को कम करने और अतिरिक्त लोचदार ऊर्जा को नष्ट करने में मदद करती है। एक लीनियर स्प्रिंग के विपरीत, जहां तनाव खिंचाव के साथ आनुपातिक रूप से बढ़ जाता है, एक्सोनल तनाव को एक पठारीय क्षेत्र की तरह प्रदर्शित करता है, जहां तनाव केवल निर्बाध प्रक्रिया के कारण खिंचाव पर निर्भर करता है। यह बताता है कि एक्सट्रॉन्स को खिंचाव से प्रेरित क्षति से बचाने के लिए स्पेक्ट्रोक्स एक्सलोन ‘शॉक एब्जॉर्बर’ के रूप में कार्य कर सकते हैं।

कूदने जैसी सामान्य गतिविधियों के दौरान भी मस्तिष्क काफी विकृति (5% तक के तनाव) से गुजरता है। विशेष रूप से शारीरिक संपर्क वाले खेलों में, मस्तिष्क का संचलन होता है और जो उसमें चोटों का एक प्रमुख कारण बन जाता है। इस परिप्रेक्ष्य में इस अध्ययन के निष्कर्ष तंत्रिका में खिंचाव के परिणामस्वरूप होने वाली चोटों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करेगें ।

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