राजस्थान में रोज बड़े बड़े जानलेवा हादसे हो रहे हैं। सड़क हादसों में परिवार के परिवार खत्म हो रहे हैं या गंभीर घायल हो रहे हैं। आज भी झुंझुनूं में हुए सड़क हादसे में एक ही परिवार के ग्यारह लोगों की मौत हो गई। सोमवार को उदयपुर में एक बाइक को कार ने जबरदस्त टक्कर मार दी। भिड़न्त इतनी तेज थी कि टक्कर के बाद बाइक सड़क से लगती खाई में गिर पड़ी और कार भी सड़क से उतर गई। बाइक पर सवार चार जनों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। ऐसे ही सीकर निवासी दो डॉक्टर दम्पति के परिवार के सात सदस्यों की मौत लापरवाही से चला रहे एक बस चालक की वजह से हो गई। बस ने कार को टक्कर इतनी तेज मारी कि कार सड़क से लगती गहरी नहर में चली गई और देखते ही देखते कार में सवार सभी लोगों की डूबने से मौत हो गई। सभी हादसों में कहीं ना कहीं बड़ी लापरवाही रही। चाहे वह टक्कर देने वालों की हो या अन्य वाहन सवारों की। झुंझुनूं में आज हुई घटना में सड़क पर ही चालक ने लापरवाही बरतते हुए ट्रेक्टर टॉली को गलत तरीके से खड़ी कर दी। नतीजा तेजी से आ रही पिकअप गाड़ी के चालक ने सड़क पर ट्रेक्टर टॉली की तरफ ध्यान नहीं गया और वह उससे भिड़ गई और देखते ही देखते पिकअप पलटी खा गई। पिकअप में बैठे ग्यारह लोगों, जिसमें बड़े बुजुर्ग और बच्चे व महिलाएं भी शामिल थी। उनकी मौत हो गई। बड़े सड़क हादसों में कहीं ना कहीं लापरवाही ही सामने आ रही है। बाइक पर दो सवारी मान्य होने के बाद भी लोग चार से पांच लोगों को साथ बैठाकर चलने से बाज नहीं आते। इससे बाइक का बैलेंस तो बिगड़ा है, साथ ही दुर्घटना होने पर यह अधिक जानलेवा भी साबित हुआ है। कोई सड़क पर वाहन खड़े करके चला जाता है। यह भी नहीं देखता है कि सड़क पर वाहनों की रेलमपेल लगी रहती है। सड़क पर वाहन खड़ा करते समय यह भी नहीं सोचते हैं कि सड़क पर वाहन खड़ा करने से ओवरटेक करते समय या वाहन दिखाई नहीं देने पर दूसरे वाहन से उससे टक्कर हो सकती है। ऐसे कई हादसे सामने आ चुके हैं, बावजूद लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। तय सीमा के बावजूद तेज गति से वाहन चलाने की आदत हर किसी में है। कोई भी लिमिट में वाहन नहीं चला रहा है। हर किसी को जल्दी है। इसी जल्दबाजी में उदयपुर जैसे हादसे होते हैं, जिसमें परिवार ही उजड़ जाता है। हर साल देश में हजारों एक्सीडेंट होते हैं, जिनमें लाखों लोग अकाल मौत के शिकार होते हैं। सड़क हादसों के लिए जनजागरण और जागरुकता कार्यक्रम भी चल रहे हैं। सरकार लापरवाही से गाड़ी चलाने वाले के खिलाफ सख्ती बरतते हुए कठोर कानून भी बना चुकी है। सड़क हादसों के जिम्मेदार जानलेवा पोईंट को सुधारने का काम चल रहा है। हाईवे सुधारे जा रहे हैं। यह सब कवायद सड़क हादसे कम करने के लिए हो रहे हैं, लेकिन बावजूद इसमें कमी नहीं आ रही है। इसके लिए जनता भी बड़ी जिम्मेदार है, जो यातायात नियमों का पालना नहीं करती है और अंधाधुंध तरीके से वाहनों को चलाती है। बाइक पर तय सीमा से अधिक सवारी बैठाते हैं। हेलमेट नहीं पहनते हैं। तेज गति से वाहन चलाते हैं। ऐसे ही कार सवार भी इतनी तेज गति से वाहन चलाते हैं कि जैसे सड़क इनके लिए बनी हो। ऊपर से शराब पीने के बाद तो चालक राजा होकर गाड़ी मनचाहे तरीके से चलाते हैं। फिर चाहे कोई भी सामने आ जाए उसे रौंदते हुए निकल पड़ते हैं। उन्हें ना सड़क दिखती है और ना ही फुटपाथ। हाल ही कोटा में शराब पीकर एक कार सवार ने फुटपाथ पर सो रहे परिवार को रौंद डाला था। ऐसे हादसों को रोकने की जिम्मेदारी सरकार से ज्यादा जनता की है। अगर तय कर ले कि यातायात नियमों का पालना करते हुए वाहन चलाएंगे तो सड़क हादसे आना बंद हो जाएंगे। इससे ना किसी का परिवार उजड़ेगा और ना ही अपनों को खोएंगे। बस जरुरी है कि यातायात नियमों का पालना करते हुए वाहन चलाएं।

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