BJP's Dalit Politics for the victory of Alwar, Ajmer and Mandalgarh
जयपुर। गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई है। प्रदेश में तीन सीटों पर उप चुनाव होने को है। अलवर व अजमेर में संसदीय सीट पर तो मांडलगढ़ में विधानसभा सीट पर चुनाव होंगे। तीनों ही सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की मौत के बाद ये चुनाव होने रहे है। भाजपा व कांग्रेस के लिए ये तीनों सीटें प्रतिष्ठा की बनी हुई है। भाजपा इन्हें फिर से जीतकर दिखाना चाहेगी कि प्रदेश में सरकार के प्रति जनता का विश्वास है। वहीं कांग्रेस भाजपा को हराकर बताना चाहेगी कि प्रदेश में भाजपा राज से जनता दुखी है और अगली सरकार कांग्रेस की होगी। दोनों ही दलों ने ये सीटें जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। कांग्रेस मेरा बूथ मेरा गौरव अभियान के माध्यम से कार्यकर्ताओं में जोश भरे हुए है तो भाजपा ने भी बूथ मैनेजमेंट को मजबूत करने पर जोर लगा रखा है।
दोनों ही दलों के बड़े नेता वहां सक्रिय है। सीएम वसुंधरा राजे तीनों सीटों पर जनसंवाद कार्यक्रम कर चुकी है तो पीसीसी चीफ सचिन पायलट भी इन क्षेत्रों के दौरे कर चुके हैं। अजमेर से सचिन पायलट तो अलवर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा ने सीटों को जीतने के लिए बैठकें शुरु कर दी है। अलवर व अजमेर सीट पर दलित समाज के वोटर्स की अच्छी तादाद है। इसे देखते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर मिश्रा ने दोनों संसदीय सीटों व जिले के दलित विधायकों को विशेष टास्क दिया है। जिसमें दलित समाज को भाजपा के पक्ष में करने के लिए समाज के लोगों से बैठकें करने, उनकी समस्याओं और मुद्दों को हल करवाने और उन्हें पार्टी से जोड़ने के निर्देश दिए है। अगले महीने तीनों सीटों की तारीख घोषित हो सकती है। इसके साथ यहां भी चुनावी संग्राम शुरु हो जाएगा।

LEAVE A REPLY