Case of giving jobs to relatives and friends: Former Nodal officer Jaiswal's bail rejected

जयपुर। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में रिश्तेदारों एवं चहेतों को नौकरी देने के मामले में आरोपी नोडल अधिकारी रहे डॉक्टर रामअवतार जायसवाल को अग्रिम जमानत का लाभ देने से इंकार करते हुए एसीबी मामलों की विशेष अदालत में जज बलजीत सिंह ने अर्जी को खारिज कर दिया है। एसीबी ने उसके खिलाफ अपने रिश्तेदारों को एवं अन्य चहेतों को अपात्र होने के बावजूद नौकरी देने का आरोप लगाते हुए 3० मार्च, 2०17 को मुकदमा दर्ज किया है। पीपी महेन्द्र व्यास ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2०14-15 में स्वेज फार्म-सोडाला निवासी डॉ.रामअवतार जायसवाल ने अपने भाई की पत्नी डॉ. नीरज, भांजा अजय जायसवाल और भांजी दामाद सुरेश चंद जायसवाल सहित अन्य को नियम विरूद्ध राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में नौकरी दी थी।

जायसवाल ने एक नया ही पद वार्ड असिस्टेंट का भी क्रियेट कर दिया। एक साल का अनुबंध था। बाद में भी यथावत रखा। जायसवाल ने मंत्री की टिप्पणी में योग्यता में शिथिलता ही फर्जी लिख दी। जबकि इस नौकरी की कोई विज्ञप्ति ही जारी नहीं की। राज्य लोक उपायन पोर्टल पर भी प्रकाशन नहीं किया। टेण्डर में सेवा शर्तो का उल्लेख ही नहीं किया। 4 कम्पनियां आई, शर्ते उसी दिन बताई। 1० शर्ते 2 दिन में पूरी करनी थी। पहले से ही मिलीभगत होने से दीक्षित कम्प्यूटर फर्म को पात्र मान लिया। फर्म के पंजीेकरण संबंधी दस्तावेज फर्जी थे।

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