जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में सोमवार को जयपुर में डॉक्टर्स ने शक्ति प्रदर्शन किया। डॉक्टर जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के बाहर से पैदल मार्च निकाला। इधर, बिल के विरोध और डॉक्टरों के समर्थन में आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने देशव्यापी बंद का आह्वान किया है, जिसमें मेडिकल सर्विस बंद करने की बात कही है। पैदल मार्च एसएमएस मेडिकल कॉलेज से शुरू हुआ। जो गोखले हॉस्टल मार्ग, सूचना केंद्र टोंक रोड, महारानी कॉलेज तिराहा, अशोक मार्ग, राजपूत सभा भवन, पांच बत्ती, एमआई रोड, अजमेरी गेट, न्यू गेट, अल्बर्ट हॉल, होते हुए वापस मेडिकल कॉलेज पहुंचकर खत्म हुआ। इस दौरान डॉक्टर्स 4.5 किलोमीटर पैदल चले। इससे पहले रविवार को डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल की मुख्य सचिव उषा शर्मा के साथ बैठक हुई, लेकिन उसमें कोई हल नहीं निकला। डॉक्टर्स बिल वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। सरकार बिल को लागू करने पर। इसके चलते अब लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। लोगों को समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा और लोग भटक रहे हैं। जयपुर समेत प्रदेश के दूसरे शहरों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े हॉस्पिटलों में आज भी रेजिडेंट्स हड़ताल पर है। पिछले 7 दिन से ज्यादा समय से रेजिडेंट्स के हड़ताल पर रहने के कारण जयपुर के एसएमएस समेत दूसरे हॉस्पिटलों में मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। यहां ओपीडी के साथ ही आईपीडी में भी मरीजों की संख्या सामान्य दिनों के मुकाबले कम हो गई। हेल्थ डिपार्टमेंट राजस्थान ने सभी जिलों के सीएमएचओ को पत्र लिखकर उनके एरिया में संचालित प्राइवेट हॉस्पिटल की लिस्ट और जानकारी मांगी है। इसमें हॉस्पिटल नाम, पता, मालिक का नाम और फोन नंबर, हॉस्पिटल में बेड की संख्या और वर्तमान स्थिति चालू है या बंद है। जयपुर में पुलिस कमिश्नरेट ने भी अपने एरिया में संचालित हॉस्पिटल की जानकारी मांगी है। जयपुर जिले की बात करें तो वर्तमान में अभी 175 छोटे-बड़े हॉस्पिटल संचालित हैं। राज्य सरकार ने अधिकांश बड़े और मीडियम अस्पतालों को रियायती दर पर जमीन आवंटित कर रखी है। उनका आवंटन निरस्त करने का अधिकार सरकार के पास है। जिन अस्पताल की बिल्डिंग संबंधित नगरीय निकाय (नगर पालिका, नगर निगम, यूआईटी या विकास प्राधिकरण) से बिना अप्रूव करवाए बनी है, उन इमारतों को सील किया जा सकता है। जिन अस्पताल संचालकों की बिल्डिंग परिसर में पार्किंग और फायर फाइटिंग की सुविधा नहीं है, उनको सील किया जा सकता है या पेनल्टी लगाई जा सकती है। नगर पालिकाएं और नगर निगम इन अस्पताल से नॉर्मल रेट पर नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) वसूलता है। उसे सरकार कॉमर्शियल रेट पर वसूल कर सकती है। जिन अस्पतालों ने अप्रूव नक्शे से अलग अवैध निर्माण कर लिया है, उस अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई की जा सकती है।

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