-मंगल व्यास भारती
नवरात्रि के दसों दिन कुवारी कन्या भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी और नवमी के दिन का विशेष महत्व है।
अष्टमी और नवमी के दिन व्रत का पारण होता है। व्रत के पारण के पूर्व हवन, उद्यापन और कन्या पूजन के साथ ही
कन्या भोज का आयोजन होता है। इस दिन 9 कन्याओं को आमंत्रित करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार 2 से 10 वर्ष
की आयु की कन्या कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त होती हैं। सभी कन्याओं को कुश के आसान पर या लकड़ी का पाट पर
बैठाकर उनके पैरों को पानी या दूध से धोएं। फिर पैर धोने के बाद उनके माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम का तिलक
लगाकर उनकी पूजा और आरती करें। तत्पश्चात सभी कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन प्रसादी के बाद उन्हें
दक्षिणा के साथ रूमाल, चुनरी, फल और खिलौने देकर उनका चरण स्पर्श करके उन्हें खुशी खुशी से विदा करें।
कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, गिफ्ट दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लेकर विदा किया जाता है।
इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है
अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी देवी की पंचोपचार
सहित पूजा करें। माँ दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है। नवरात्रि
में आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल
से दी गई है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में महागौरी आठवीं शक्ति स्वरूपा हैं। महाष्टमी के दिन मां महागौरी की आराधना
करने से सुख और समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं, वह पापमुक्त हो
जाते हैं। महागौरी की चार भुजाएं होती हैं। जिसमें से दो भुजाओं में उनके शस्त्र होते हैं और दो भुजाएं आशीर्वाद देती
हुई प्रतीत होती हैं। इनका वर्ण सफेद और देखने में अत्यंत सुन्दर है, इसीलिए इनका नाम महागौरी है। इनकी सवारी
एक सफेद बैल है और इनके वस्त्र भी सफेद हैं। अष्टमी की तिथि के दिन महागौरी मां दुर्गा की पूजा से भक्तों के सभी
तरह के पाप और कष्ट दूर हो जाते है।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है। जिससे मन और शरीर हर तरह से शुद्ध
हो जाता है। देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है। इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट
हो जाते हैं। देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने
लगती है।

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