Cabinet minister's hand behind doctor's strike?
जयपुर। राजस्थान में गत छह दिन से दस हजार सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल चल रही है। हड़ताल के समर्थन में रेजीडेंट डॉक्टर भी आ गए हैं। वे भी अस्पताल नहीं आ रहे हैं। इन सब की मार राजस्थान के मरीजों पर पड़ रही है। रोजाना दर्जनों मरीज इलाज के अभाव में मरने लगे हैं। दिलचस्प बात यह है कि राज्य के चिकित्सा मंत्री कह रहे हैं कि पहली वार्ता में ही सेवारत चिकित्सकों की सभी मांगे मान ली गई थी, लेकिन इसके बावजूद पदाधिकारी हड़ताल पर चले गए। जबकि सेवारत चिकित्सक संघ के पदाधिकारी डॉ.अजय चौधरी व महासचिव दुर्गाशंकर सैनी का आरोप है कि उनकी सभी मांगे नहीं मानी, इसलिए हड़ताल पर जाने को मजबूर है। सरकार के बुलाने पर भी चिकित्सक संघ के पदाधिकारी व चिकित्सक वार्ता के लिए नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार को रेस्मा लागू करना पड़ा। एक दर्जन से अधिक चिकित्सकों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सभी चिकित्सक भूमिगत हो गए हैं।
उधर हड़ताल को लेकर आरोप-प्रत्यारोप भी होने लगे हैं। सरकार के विधायक और कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि हड़ताल के पीछे भाजपा के ही एक मंत्री का हाथ है। उनके इशारे पर ही हड़ताल हो रही है। यह बात शुक्रवार को चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के जुबान पर भी आ गई। हालांकि सराफ ने किसी का बयान नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कह दिया कि इस हड़ताल के पीछे कौन है, यह सभी को पता है। सरकार चिकित्सकों की मांगे मान चुकी है। फिर भी चिकित्सक अड़े हुए हैं। मीडिया ने हड़ताल के पीछे पूर्व चिकित्सा मंत्री रहे और वर्तमान में पंचायत राजमंत्री राजेन्द्र राठौड़ के हाथ होने के संबंध में सवाल किया तो वे हंसकर चुप्पी साध गए। डॉक्टर्स हडताल को लेकर पार्टी के ही वरिष्ठ नेता और विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने भी एक मंत्री का हाथ होना बताया है। तिवाड़ी ने मीडिया से कहा कि हड़ताल के पीछे एक केबिनेट मंत्री का हाथ है, जो हड़ताल करवा रहे हैं। सियासी क्षेत्र में भी चर्चा है कि पहली मीटिंग में ही चिकित्सक संघ की सभी मांगों पर सहमति हो गई थी। फिर भी वार्ता छोड़कर मीटिंग से जाना, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करना और हड़ताल पर चले जाना, आदि घटनाएं कई तरह के सवाल खड़ा कर रही है। इन सबके पीछे किसी ना किसी के हाथ होने का अंदेशा सही लग रहा है। सीआईडी की भी रिपोर्ट है कि हड़ताल को कोई ओर संचालित कर रहा है। इस हड़ताल ने सरकार के बड़े नेताओं व मंत्रियों में आपसी कलह और विवाद को सामने ला दिया है। नेता व मंत्री एक-दूसरे को नीचा दिखाने में चूक नहीं रहे हैं, जिसका खामियाजा खासकर हड़ताल के नतीजे जनता के समक्ष अच्छे नहीं है। चाहे यह चिकित्सा विभाग को हथियाने के लिए मंत्रियों की आपसी लड़ाई हो या अन्य कारण, लेकिन लम्बी खींचती हड़ताल को सरकार के फेलियर के तौर पर देखा जा रहा है।

LEAVE A REPLY