नई दिल्ली। चारा घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला देते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के माथे पर पसीना ला दिया। कोर्ट ने अपने आदेशों में लालू प्रसाद यादव को सभी चारों मामलों में सुनवाई का सामना करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही बिहार में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ गया। वहीं लालू के आवास 10 सर्कुलर रोड पर सन्नाटा पसर गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा व अमिताव रॉय ने निचली अदालत को मामले की सुनवाई 9 माह के भीतर ही पूरी करने के निर्देश दिए। पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में पशुपालन विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में फर्जी तरीके से 900 करोड़ रुपए की निकासी से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक मामले के लिए अलग सुनवाई होनी चाहिए। इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा व पूर्व सचिव संजाल चक्रवर्ती भी आरोपी है। कोर्ट ने 2014 के हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि कोर्ट को अपने निष्कर्षों में दृढ़ रहना चाहिए और एक ही मामले में आरोपियों के अलग-अलग गुटों के लिए पृथक-पृथक आदेश नहीं सुनाना चाहिए। वहीं हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील में देरी को लेकर सीबीआई को भी कड़ी फटकार लगाई। कहा कि जांच एजेंसी के अधिकारी को यह देखना चाहिए था कि मामले की तह तक जाने के लिए किसी अधिकारी को नियुक्त किया जाना चाहिए था। इधर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एक बार फिर चारा घोटाले की सुनवाई का फरमान जारी होने के साथ ही उनके आवास पर सन्नाटा ही पसरा गया। इस दौरान मीडियाकर्मी उनका पक्ष जाने के लिए आवास पर डटे रहे। लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कोर्ट के आदेशों के बाद लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 120- बी यानी आपराधिक साजिश, 409- अमानत में खयानत, 420- धोखाधड़ी, 467- जालसाजी, 468- धोखाधड़ी के लिए जालसाजी, इसके अलावा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)सी डी और 13(2) जैसी गंभीर धाराओं के तहत भी मुकदमा चलेगा।

-जनप्रहरी की ताजातरीन खबरों के लिए लाइक करें।

LEAVE A REPLY