Aam Aadmi Party

नयी दिल्ली : दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए चुनाव आयोग ने आज राष्ट्रपति को पार्टी (आप) के 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की। इसने उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। हालांकि, चुनाव आयोग के इस कदम को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाले पार्टी विधायकों को फिलहाल अदालत से कोई राहत नहीं मिल पायी। इस घटनाक्रम से दिल्ली की आप सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है क्योंकि 70 सदस्यीय विधानसभा में उसके 66 रिपीट 66 विधायक हैं। इसके बावजूद, भाजपा और कांग्रेस ने नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की।

चुनाव आयोग की सिफारिश पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए आप ने दावा किया कि मुख्य चुनाव आयुक्त प्रधानमंत्री के इशारे पर उसकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। चुनाव आयोग की सिफारिश को चुनौती देते हुए इनमें से सात विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उनकी याचिका पर फिलहाल कोई अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया। आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अनुशंसा में आयोग ने कहा है कि आप के 20 विधायक 13 मार्च 2015 से 08 सितंबर 2016 तक संसदीय सचिव के पद पर रहकर लाभ के पद पर रहे इसलिये दिल्ली विधानसभा के विधायक के तौर पर ये अयोग्य घोषित होने योग्य हैं।

संसदीय सचिव मंत्रियों की उनके कार्यों में सहायता करते हैं। आप ने जोर दिया कि पद पर रहने के बावजूद इन विधायकों ने कोई वेतन या अन्य लाभ नहीं लिये। आप ने मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोति पर जोरदार हमला किया। पार्टी ने उनपर आरोप लगाया कि वह 22 जनवरी को सेवानिवृत्त होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘कर्ज चुका’ रहे हैं। आप की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘‘ए के जोति गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते प्रधान सचिव थे और उसके बाद गुजरात के मुख्य सचिव रहे। वह सोमवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसलिये आप मोदीजी को कर्ज चुकाना चाहते हैं। आप चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक पद को गिरवी रख रहे हैं।’’ आप के एक अन्य वरिष्ठ नेता आशुतोष ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘चुनाव आयोग को पीएमओ का लेटर बॉक्स नहीं बनना चाहिये। हालांकि, आज यही हकीकत है।’’ जोति गुजरात कैडर के 1975 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वह 2015 में चुनाव आयुक्त बने और उसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त बने।

भारद्वाज ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने ‘नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों’ का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने विधायकों का पक्ष नहीं सुना। उल्लेखनीय है कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं। नियमों के अनुसार विधायकों या सांसदों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला लेने से पहले राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय लेते हैं। चुनाव आयोग की राय के मुताबिक ही राष्ट्रपति इन याचिकाओं पर फैसला करते हैं। वर्तमान मामले में 21 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका दी गई थी लेकिन एक विधायक ने कुछ महीने पहले ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

राष्ट्रपति जब चुनाव आयोग की सिफारिश स्वीकार कर लेंगे तो 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने होंगे। हालांकि, इन विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने से केजरीवाल सरकार पर कोई खतरा नहीं है क्योंकि उसे दिल्ली विधानसभा में भारी बहुमत हासिल है। विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने से उसके विधायकों की संख्या घटकर 46 रिपीट 46 हो जाएगी। चुनाव आयोग के राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश करने पर भाजपा ने तुरंत सवाल किया कि क्या आप सरकार के पास कोई ‘नैतिक अधिकार’ बचा है।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आप के विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि इंडिया एगेंस्ट करप्शन आंदोलन से शुरू हुई राजनीतिक यात्रा अब ‘आई एम करप्शन’ का रूप ले चुकी है। पात्रा ने आरोप लगाया कि आप सबसे भ्रष्ट राजनीतिक पार्टी बनने को अग्रसर हो रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल मंत्रिमंडल के कई सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा । उनके 15 विधायकों के खिलाफ मामले चल रहे हैं और विभिन्न आरोपों में कई विधायकों को गिरफ्तार भी किया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या केजरीवाल सरकार को सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार है।

वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि पार्टी की दिल्ली इकाई ‘‘किसी भी पल चुनाव के लिए तैयार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘आप’ के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश का स्वागत करते हैं। अरविंद केजरीवाल को इस नैतिक हार की जिम्मेदारी लेकर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।’’ उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि अब मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

माकन ने ट्वीट किया, ‘‘केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनके मंत्रिमंडल के लगभग 50 फीसदी मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में हटा दिया गया। मंत्रियों का भत्ता प्राप्त कर रहे 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।’’ इस बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज शाम आप विधायकों को अंतरिम राहत देने से मना कर दिया। हालांकि, उसने चुनाव आयोग से अदालत को 22 जनवरी तक सूचित करने को कहा कि क्या विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कोई पत्र भेजा गया है।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने विधायकों के आचरण पर सवाल किया। अदालत ने कहा कि वे चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और इस तथ्य की आड़ ली कि उनकी याचिकाएं उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। लाभ के पद मामले के घेरे में आये आप के 20 विधायकों में नजफगढ़ से पार्टी विधायक एवं केजरीवाल सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत भी शामिल हैं। इनके अतिरिक्त आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालका जी), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (महरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिव चरण गोयल (मोतीनगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेन्द्र गर्ग (राजेन्द्र नगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) के नाम शामिल हैं।

LEAVE A REPLY