जयपुर। हमारी पुलिस किस तरह काम करती है यह हम जानते ही है मगर क्राइमब्रांच ने अपनी छवि के अनुरूप काम नहीं किया ऐसा कम ही सुनने को मिलता है मगर इस केस में क्राइमब्रांच की कार्यशैली की सवालों के घेरे में आ रही है। जब उनके पास पुख्ता सबूत थे तो मामले में एफआईआर किस तरह से लगाकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की काबिले तारीफ है। पुलिसक्राइम ब्रांच ने जमीन से जुड़े मामले की बार-बार जांच बदल कर आरोप साबित होने के बाद भी मामले में एफआर लगा देना क्या दर्शाता है। अब मामला जोधपुर का सामने आया है। मामला कांग्रेस भाजपा सरकार में रहे दो पूर्व मंत्री के परिवारों से जुड़ा हुआ है। दरअसल अक्टूबर 2015 में पूर्व मंत्री जसवंत सिंह के विधायक बेटे मानवेन्द्र सिंह भूपेन्द्र सिंह समेत अन्य पर जेसीबी से तोड़फोड़ कराकर कुछ माफियाओं के मार्फत जमीन पर कब्जा का प्रयास करने का मामला पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह भाटी के बेटे मृगेन्द्र सिंह ने जोधपुर के रातानाड़ा थाना में दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस मुख्यालय क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने प्रकरण में यह मानकर एफआर लगा दी है कि जमीन मृगेन्द्र सिंह की कब्जेशुदा नहीं है और आरोप झूठे है। जबकि पुलिस के पास आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत थे। जमीन पर मृगेन्द्र सिंह का ही कब्जा है। बिजली के बिल भी मृगेन्द्र सिंह की मां सरोजनी देवी के नाम आते है और जल संग्रहण योजना के तहत ढ़ाचा निर्माण कार्य के लिए उनकी मां के नाम से राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड ने 8 लाख रुपए से ज्यादा का बजट दिया था। मृगेन्द्र सिंह ने यह जमीन धनंजय सिंह से खरीदी थी और रजिस्ट्री करवाकर कब्जा भी कर लिया था। हालांकि पारिवारिक विवाद के कारण जमीन का नामांतरण नहीं खुला पाया।

पड़ताल में सामने आया कि सिविल एयरपोर्ट रोड़ पर मोहन बाग पाबूपुरा में मृगेन्द्र सिंह की 20 बीघा जमीन है। 29 अक्टूबर 2010 को जमीन पर 30-40 जने आए और जमीन पर तोड़फोड़ करके कब्जा करने लगे। मृगेन्द्र सिंह ने इसकी सूचना पुलिस कमिश्नर अशोक राठौड़ को दी। सूचना पर एडिशनल डीसीपी रातानाड़ा थाना प्रभारी इन्द्र सिंह पुलिस जाप्ते के साथ मौके पर पहुंचे। घटनाक्रम के दौरान मानवेन्द्र सिंह समेत अन्य लोग भी मौजूद थे। पुलिस ने मौके से आठ जनों को गिरफ्तार कर ट्रेक्टर जेसीबी जब्त किए थे। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में भवानी सिंह मानवेन्द्र सिंह द्वारा भेजने और कब्जा कराने की बात कहीं थी।
प्रकरण विधायक मानवेन्द्र सिंह से जुड़ा था। ऐसे में प्रकरण की जांच पुलिस मुख्यालय में तैनात एडिशनल एसपी राजेन्द्र सिंह सिसोदिया को और फिर गजानंद वर्मा को दे दी। सूत्रों ने बताया कि गजानंद वर्मा ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश करने की तैयारी कर ली थी, लेकिन जांच बदलकर एडिशनल एसपी मिलन कुमार को सौंप दी। मिलन कुमार ने ठोस सबूत होने के बाद भी क्राइम ब्रांच में तैनात एक अफसर के दबाव में प्रकरण में एफआर लगा दी। मिलन कुमार ने जांच में माना है कि जमीन पर मृगेन्द्र सिंह का कब्जा नहीं था और आरोपी पक्ष ने खरपतवार झाड़ियों को हटाने के लिए खुद की जमीन समझकर गेट निकालने के लिए दीवार तोड़ दी थी।

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