चंडीगढ़। देश का शायद पहला ऐसा मामला है जिसमें एक नाबालिग लड़की ने दुष्कर्म के बाद गर्भवती होने पर बच्चे को जन्म दिया है। मामला काफी गंभीर था क्योंकि बच्ची की उम्र कम थी और अबॉशन भी नहीं किया जा सकता था। क्योंकि उससे बच्ची की जान को खतरा था इसलिए गर्भवती नाबालिग बच्ची को उस बच्चे को जन्म देना पड़ा। डॉक्टरों के मुताबिक जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। गत दिवस तबीयत बिगड़ने के कारण डॉक्टरों ने आॅपरेशन टाल दिया था, लेकिन रात को उसकी तबियात ठीक होने के बाद जीएमसीएच, सेक्टर-32 के डॉक्टरों ने बच्ची की सिजेरीयन डिलीवरी करवाई। इस मामले में गठित मेडिकल बोर्ड ने बुधवार को दिनभर बच्ची के स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखी। बोर्ड में अलग-अलग विभागों के दस डॉक्टर शामिल थे। दोपहर में बच्ची का गत दिवस अल्ट्रासाउंड करवाया गया। इसके बाद उसे वापस प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया।

मेडिकल कमेटी की पूरी टीम ने बुधवार को बच्ची के वार्ड का दौरा किया। इस दौरान नर्सिंग स्टाफ ने बच्ची की मां से मुलाकात की। महिला डॉक्टर्स ने कुछ मिनट उनसे अकेले में बात की और उनको गले से लगाकर सांत्वना दी। मामले को लेकर जरूरी जानकारी हेल्थ सेक्रेटरी को भेजी जा रही है। प्रशासन पूरी रिपोर्ट बंद लिफाफे में बंद कर भेजता है। एक बार लापरवाही सामने आने पर इस बात का विशेष ख्याल रखा जा रहा है कि बच्ची की पहचान हर हाल में गुप्त रखी जाए। बच्ची की डिलीवरी को लेकर गायनेकोलॉजिस्ट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही। मेडिकल कमेटी में दो गायनेकोलॉजिस्ट हैं। प्रोफेसर पूनम गोयल और डॉ. भारती गोयल कमेटी में हैं। इन दोनों के अलावा कार्डिलोजिस्ट्स व अन्य एक्सपर्ट का रोल भी अहम है। मेडिकल कमेटी के अध्यक्ष फारेंसिक साइंस के हेड प्रो. हरीश दसारी हैं। उनके अलावा साइकियाट्री से डॉ. शिवांगी मेहता व प्रो. प्रीति अरुण, पीडियाट्रीक्स विभाग के हेड प्रो. विशाल गुगलानी व डॉ. पंकज, रेडियोडाइग्नोसिस से डॉ. रेखा गुप्ता, एनेस्थिसिया विभाग से प्रोफेसर लोकेश भी टीम में हैं। वहीं, कार्डियोलॉजिस्ट की जिम्मेदारी डॉ. श्रीनिवास को दी गई है। मधु अरोड़ा चीफ डाइटिशियन हैं।

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