-दिनेश चंद्र शर्मा

जयपुर। शुरू से ही माना जाता है कि अच्छी सेहत के लिए प्र्याप्त नींद लेना जरूरी है। चिकित्सकों की माने तो हर इंसान को कम से कम छह से आठ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। मगर, कई बार आधुनिक जीवन शैली और खराब आदतों के कारण बहुत से लोग पांच घंटे से कम की नींद ले रहे हैं। लेकिन ऐसा करना उनकी याददाश्त के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। लंदन में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि पांच घंटे से कम की नींद लेने से व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो सकती है। यह अध्ययन दिमाग के एक हिस्से हिप्पोकैम्पस में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच जुड़ाव न हो पाने पर केंद्रित है। अध्ययन में पता चला कि कम सोने से हिप्पोकैम्पस में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच जुड़ाव नहीं हो पाता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है। ग्रोनिनजेन इंस्टीट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी लाइफ साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर रॉबर्ट हैवेक्स ने अध्ययन के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, ‘यह साफ हो गया है कि याददाश्त बरकरार रखने में नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम जानते हैं कि झपकी लेना महत्वपूर्ण यादों को वापस लाने में सहायक होता है। मगर, कम नींद कैसे हिप्पोकैंपस में संयोजन कार्य पर असर डालती है और याददाश्त को कमजोर करती है, यह स्पष्ट है।Óहाल तक यह भी माना जाता रहा है तंत्रिका कोशिकाओं को पारस्परिक सिग्नल पास करने वाली सिनैपसिस-स्ट्रक्चर के संयोजन में बदलाव होने से भी याददाश्त पर असर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने इसका परीक्षण चूहों के दिमाग पर किया। परीक्षण में डेनड्राइट्स के स्ट्रक्चर पर पडऩे वाले कम नींद के प्रभाव को जांचा गया। सबसे पहले उन्होंने गोल्गी के सिल्वर-स्टेनिंग पद्धति का पांच घंटे की कम नींद को लेकर डेन्ड्राइट्स और चूहों के हिप्पोकैम्पस से संबंधित डेन्ड्राइट्स स्पाइन की संख्या को लेकर निरीक्षण किया।विश्लेषण से पता चला कि कम नींद से तंत्रिका कोशिकाओं से संबंधित डेन्ड्राइट्स की लंबाई और मेरुदंड के घनत्व में कमी आ गई थी। उन्होंने कम नींद के परीक्षण को जारी रखा, लेकिन इसके बाद चूहों को बिना बाधा तीन घंटे सोने दिया। ऐसा वैज्ञानिकों के पूर्व कार्यों का परीक्षण करने के लिए किया गया। पूर्व में कहा गया था कि तीन घंटे की नींद, कम सोने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त है। पांच घंटे से कम नींद वाले परीक्षण के प्रभाव को दोबारा जांचा गया। इसमें चूहों के डेन्ड्रिक स्ट्रक्चर की निगरानी चूहों के सोने के दौरान की गई, तो डेन्ड्रिक स्ट्रक्चर में कोई अंतर नहीं पाया गया। इसके बाद इस बात की जांच की गई कि कम नींद से आण्विक स्तर पर क्या असर पड़ता है। इसमें खुलासा हुआ कि आण्विक तंत्र पर कम नींद का नकारात्मक असर पड़ता है और यह कॉफिलन को भी निशाना बनाता है।
आप कितने घंटे सोते हैं?
आपने अक्सर पढ़ा या सुना होगा, कि कम से कम 8 घंटे की नींद लेना हर किसी के लिए बेहद जरूरी होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि उम्र के हिसाब से सभी के लिए नींद की आवश्यक मात्रा अलग-अलग होती है। जानिए कितनी नींद आवश्यक है आपके बेहतर स्वास्थ्य के लिए…
सामान्य तौर पर अगर आप 5 घंटे से भी कम सो पाते हैं, तो आपके मस्तिष्क की कार्य क्षमता पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसा ही कुछ जरूररत से ज्यादा नींद लेने पर भी होता है। लेकिन रिसर्च के अनुसार नींद लेने के पैमाना हर उम्र के व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है।
नवजात – नवजात शिशु से तीन माह तक के बच्चे को नींद की आवश्यकता एक सामान्य से लगभग दोगुनी होती है। इन बच्चों को हर दिन 14 से 17 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है जिसमें, कम से कम 11 से 13 घंटे की नींद तो बेहद आवश्यक है। लेकिन 19 घंटे से अधिक नींद बच्चों के दिमाग के विकास को बाधित कर सकता है।
शिशु- 4 माह से 1 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए 12 से 15 घंटे की नींद जरूरी होती है या फिर कम से कम 10 घंटे की नींद होनी चाहिए। वहीं 18 घंटे से ज्यादा नींद इनके लिए खतरनाक हो सकती है। वहीं 1 से 2 साल तक के बच्चे के लिए 11 से 14 घंटे आदर्श नींद और तीन से पांच साल तक के बच्चों के लिए 10 से 13 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है। वहीं आठ घंटे से कम या फिर 14 घंटे से ज्यादा देर नींद इनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
इसी प्रकार 6 से 13 तक के बच्चों के लिए 9 से 11 घंटे नींद लेने की सलाह दी जाती है, वहीं 7 घंटे से कम नींद या फिर 11 घंटे से ज्यादा देर नींद लेना नुकसानदायक हो सकता है।14 से 17 साल तक, किशोरावस्था में 8 से 10 घंटे की नींद लेना मानसिक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
वयस्क – अठारह से पच्चीस साल की उम्र तक नींद का यह आंकड़ा घटकर 7 से 9 घंटे का होना चाहिए। लेकिन इससे कम या अधिक नींद हानिकारक साबित हो सकती है।
अधेड़ अवस्था – 26 साल की उम्र से 64 साल की उम्र तक के लोगों को भी 7 से 9 घंटे की नींद लेना आवश्यक है, ताकि मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहे और कायज़्क्षमता भी प्रभावित न हो।

बुजुर्ग – बढ़ती उम्र के साथ-साथ नींद की आवश्यकता का यह आंकड़ा कम होता है, जिसमें 7 से 8 घंटे की नींद आवश्यक होती है। लेकिन इस उम्र में 5 घंटे से कम नींद लेना हानिकारक साबित हो सकता है और 9 घंटे से अधिक नींद भी। इसके अलावा कम या अधिक नींद का सीधा संबंध आपके रक्तचाप, मस्तिष्क की कार्यक्षमता, ऊर्जा में कमी, चिड़चिड़ापन, तनाव, मानसिक समस्याएं, सिरदर्द, डाइबिटीज, मोटापा और हृदय रोगों से होता है। आवश्यकता से कम या अधिक नींद लेने पर आपको इन बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

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