जयपुर। जनता से वसूली आम आदमी बिजली का बिल जमा कराने में कुछ दिन की भी देरी कर दे या थोड़ा सा भी बकाया मिले तो बिजली कंपनी वाले उसका कनेक्शन काटने आ धमकते हैं, लेकिन बड़े साहबों और माननीयों पर ना केवल हजारों-लाखों का बकाया हो, बल्कि समय पर जमा भी नहीं करा रहे हैं तो बिजली निगम आंख उठाकर भी नहीं देखते हैं। प्रदेश के कुछ विधायकों पर हजारों-लाखों रुपए के बिजली बिलों के बकाया मामले में भी ऐसा ही रवैया अपनाया हुआ है। जयपुर डिस्कॉम में विधायकों के सरकारी बंगलों के लाखों रुपए के बिजली के बिल बकाया चल रहे हैं लेकिन ना तो विधायक जमा करा रहे हैं और ना ही कंपनी कोई कार्रवाई कर रही है। हाथ पर हाथ धरे बैठी बिजली कंपनी की इस कारगुजारी का खुलासा एक आरटीआई के जवाब में सामने आया है। आरटीआई के मुताबिक राज्य के 18 विधायकों पर बिजली के बिल बकाया चल रहे हैं। इनमें सबसे अधिक पूर्व विधायक और वर्तमान में सांसद ओम बिरला पर 2 लाख 94 हजार रुपए का बिल बकाया है। इसके बाद विधायक भवानीसिंह राजावत पर 1,34,491 रुपए बाकी है। इसी तरह विधायक हनुमान बेनीवाल पर 1,25,000 रुपए बिजली बिल के बकाया चल रहे हैं।
अन्य विधायकों में मोहनलाल गुप्ता पर 14,565, शंकरसिंह राजपुरोहित पर 26,700, धर्मपाल चौधरी पर 79,425, जयनारायण पूनिया के 5857, कल्याण सिंह चौहान पर 24,203, मानवेन्द्र सिंह पर 2983, मानसिंह पर 20714, सुंदरलाल पर 5633, गोविन्दसिंह डोटासरा पर 6188 और हबीबुर्रहमान पर 2068, संसदीय सचिव डा. विश्वनाथ मेघवाल पर 20165 और राजकुमारी कृष्णेन्द्र पर 13831 रुपए बकाया चल रहे हैं। इसी तरह विधायक घनश्याम तिवाडी पर भी 12375 रुपए बिजली बिल बकाया है। विधायक नारायण सिंह पर मात्र दस रुपए बकाया बता रखे हैं। इनमें से कुछ विधायकों का कहना है कि ये बंगले और क्वार्टर सरकारी है। बिजली का इतना अधिक बकाया किस तरह हो गया है उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने यह व्यवस्था की थी कि जिस भी विधायक का बिजली का बिल जमा नहीं है उसे अध्यक्ष की जानकारी में लाया जाए। उसके बाद विधायक के स्पष्टीकरण के बाद भी बकाया रहता है तो यह बिल उसके वेतन भत्तों में से काट लिया जाए। डिस्कॉम इस पर अमल नहीं करता तो यह उनकी गलती नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने बताया कि इतना ही नहीं बल्कि जोधपुर डिस्कॉम अपने 348 करोड़ रुपए सरकारी विभागों से वसूल नहीं कर पा रहा है। इनमें सबसे अधिक पीएचईडी पर 133 करोड़ रुपए और विभिन्न यूआईटी व नगर परिषद पर 298 करोड़ रुपए बाकी है। सबसे कम पुलिस पर 2.5 करोड़ बकाया चल रहे हैं। फिलहाल सभी डिसकॉम की खराब हालत चल रही है। करीब 75 हजार करोड़ रुपए का घाटा जयपुर जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम को हो चुका है। घाटे की स्थिति को देखते हुए जोधपुर डिस्कॉम, जयपुर डिस्कॉम ने कई बार जलदाय विभाग के कनेक्शन काटे है। इसी तरह की कार्रवाई जोधपुर में भी हुई लेकिन इससे पानी सप्लाई बाधित होती है। जनता से जुड़ा होने के कारण डिस्कॉम कड़ा रवैया अख्तियार नहीं कर पाती। यूआईटी व नगर परिषद का मामला भी ठीक इसी तरह का है। यहां भी रोड लाइटों का बिल बकाया होने के कारण ये जमा नहीं हो पाता। कनेक्शन काटने पर शहरों की सड़कों पर अंधेरा हो जाता है। डिस्कॉम के अधिकारी बताते है कि ये दोनों विभाग जनता से जुड़े होने के कारण हम ज्यादा कुछ नहीं पाते।
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