– पूजा पाल जैन

जयपुर। कौन है जो आज नया लुक नहीं पाना चाहता। आज लड़के हों या लड़कियां हर कोई चेहरे व बालों से लेकर शरीर तक को नया लुक देने की पुरजोर कोशिश में लगा हुआ है। इसी एक्सपेरिमेंट का नतीजा है कि खूबसूरती की इस होड़ के चलते डॉक्टरों की चांदी हो गई है। इससे पहले देर हो जाए और आप भी डॉक्टर्स के क्लीनिकों के चक्कर काटें, पहले ही संभल जाएं। बात चाहे बालों की रिबाउंडिंग यानी की स्ट्रेटनिंग की हो या टैटू गुदवाने की या फिर ब्लीचिंग कर शरीर को खूबसूरत बनाने की, देर सवेर इसके साइड इफेक्ट किसी न किसी रूप में झेलने ही पड़ते हैं। आइए जानते हैं कि स्ट्रेटनिंग, टैटू गुदवाने व ब्लीचिंग करवाने के क्या नुकसान हो सकते हैं।
स्ट्रेटनिंग के साइड इफेक्ट
बालों के लुक को स्ट्रेटनिंग या रिबाउंडिंग के जरिए बेहद खूबसूरत बनाया जाता है पर क्या इससे होने वाले नुकसान के बारे में शायद ही हमने कभी सोचा है। बालों को कभी कलर करवाना तो कभी स्ट्रेट करवाना खूबसूरती के साथ-साथ मुसीबत भी लाता है। बालों को स्ट्रेट करवाने में जो केमिकल इस्तेमाल होता है, वह कई बार इतना विपरीत असर डालता है जिसकी वजह से बाल झड़ते हैं और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
रूखे और बेजान बाल – बालों को स्ट्रेटनिंग करने में केमिकल्स और ड्रायर्स का इस्तेमाल होता है। इससे केवल बाल ही नहीं, बल्कि उनकी जड़ें भी रूखी और बेजान हो जाती है और बाल टूटने लगते हैं।
एलर्जी- बालों की स्ट्रेटनिंग का सबसे कॉमन साइड इफेक्ट है एलर्जी। इससे बालों में न केवल एलर्जी होती है बल्कि परिणामस्वरूप बाल भी झडऩे लगते हैं।

दो-मुंहे बाल – बालों को स्ट्रेट करवाना दो-मुंहे बालों की समस्या खड़ा तो करता ही है साथ ही हार्ड केमिकल्स से बालों को नुकसान भी पहुंचता है।
बाल झडऩ़ा – खराब क्वालिटी के केमिकल और सही तरह से हेयर स्ट्रेटनिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करने से बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं।
टैटू के साइड इफेक्ट
टैटू की लोकप्रियता ने फैशन में तो चार चांद लगाए ही हैं, साथ ही बैठे-बिठाए बीमारियों को भी दावत दे दी। टैटू फैशन की तरह है, इसलिए सबके पास अपनी अलग वजह है इसे बनवाने की। कोई प्यार का इज़हार करना चाहता है तो कोई अपने आपको कूल दिखाने के लिए टैटू गुदवाता है। लेकिन, सावधान, टैटू के दीवानों को यह शौक काफी महंगा पड़ सकता है क्योंकि इस दौरान इस्तेमाल की जाने वाली इंक में ऐसे विषैले तत्व होते हैं, जिनसे शरीर को नुकसान पहुंचता है। साथ ही स्किन कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता है।
एलर्जी को दावत- शरीर पर लालिमा, सूजन व मवाद आने के साथ दर्द होना जैसे संक्रमण के अलावा स्ट्रेप से होने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का भी डर रहता है। दर्द से बचने के लिए परमानेंट टैटू के बदले नकली टैटू बनवाना भी एलर्जी को दावत देता है।
मांसपेशियों को नुकसान- टैटू गुदवाते समय सुइयों को शरीर में गहरा चुभाया जाता है, जिससे मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचता है।
शरीर में पहुंचते हैं जहरीले तत्व- टैटू की इंक में कोबाल्ट, एल्युमिनियम, मरक्युरियल सल्फाइड के अलावा शीशा, कैडियम, क्रोमियम, निकिल, टाइटेनियम और कई तरह की दूसरे मेटल मिले होते हैं। जिनसे त्वचा कैंसर का खतरा दो-गुना बढ़ जाता है।
कैंसर का खतरा- टैटू गुदवाने से सोराइसिस जैसी बीमारी होने का खतरा होता है क्योंकि इस दौरान इस्तेमाल निडल को किसी दूसरे पर भी इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि इससे त्वचा संबंधी बीमारियों के अलावा हेपेटाइटिस और एचआईवी जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए शरीर पर तरह-तरह के टैटू बनवाने का चलन युवाओं के बीच जितना पॉपुलर हो रहा है उतना ही त्वचा कैंसर का खतरा भी जोर पकड़ रहा है।
स्किन ब्लीचिंग के साइड इफेक्ट
कम वक्त में रंग को गोरा, झुर्रियां रहित चेहरा और कोमल त्वचा के साथ उम्र से कम दिखने जैसे दावों वाले प्रोडक्ट्स ने आपको भ्रमा रखा है। पर क्या कभी आपने इन दावों की सच्चाई को टटोला है। अगर नहीं तो आइए इनका असर आपकी त्वचा पर किस कदर पड़ता है हम आपको बताते हैं। इन क्रीमों के अलावा ब्लीच युक्त प्रोडक्ट्स का असर त्वचा के बदरंग होने या धब्बे व निशान पडऩे तक सीमित नहीं है बल्कि यह हमारे किडनी, फेफडों के साथ हृदय पर भी जबरदस्त कुठाराघात करते हैं। यहां यह समझ लेना बेहतर होगा कि ऐसा प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल्स के कारण है।
एलर्जी- ब्लीच चेहरे की हो या शरीर की, फायदे के साथ नुकसान एक से हैं। ब्लीचिंग से त्वचा में दर्द, उसका छिल जाना, लाल रंग के चकते व सूजन जैसी समस्याएं आमतौर पर रिएक्शन के रूप में देखने को मिलती है। सिलिकॉन रसायन का इस्तेमाल क्रीम को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। इससे अक्सर एलर्जी हो जाती है।
किडनी पर भी असर- ब्लीच में मरकरी नामक तत्व होता है, जिससे जहर फैलता है और यह धीरे-धीरे लिवर या किडनी पर बुरा असर डालता है।
आंखों में लालिमा- दरअसल ब्लीचिंग में अपनी एक अलग सी महक होती है, जिसे दूर करने के लिए खुशबू का इस्तेमाल किया जाता है। आपने कभी ध्यान दिया हो तो ब्लीचिंग का प्रयोग करते समय धुंआ सा निकलता है, जो आंखों के पास पहुंचते ही जलन पैदा करता है। नतीजा, आंखों में सूजन और लालिमा आ जाती है।
बदरंग त्वचा- हाइड्रोक्विनोन नामक तत्व एक अच्छा ब्लीचिंग एजेंट माना जाता है और इसका नियमित और अधिक मात्रा में इस्तेमाल त्वचा को बदरंग कर सकता है।
त्वचा पर समय से पहले आता है बुढ़ापा- त्वचा को गोरा व चमकदार बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट्स में ग्लायकोलिक एसिड, रेटिनॉल और बीटा हाइड्रॉक्सी एसिड होते हैं। ये त्वचा की प्राकृतिक रूप से अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से लडऩे की क्षमता पर असर डालते हैं और त्वचा जल्दी बुढ़ाने लगती है और चेहरे पर समय से पहले ही झुरिज़्यां आनी शुरू हो जाती हैं।
रूखी व पतली त्वचा- त्वचा को टोन बनाने वाले उत्पादों के अधिक इस्तेमाल के चलते इसमें मौजूद ट्रेटिनॉएन से त्वचा पर लाल निशान पड़ जाते हैं। साथ ही त्वचा पतली व रूखी हो जाती है।

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