breakdown Malseisser RWR, Merchandising, game, NCC Company, phed
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मलसीसर आरडब्ल्यूआर टूटने के मामले में नहीं हुई कार्रवाई, 4 करोड़ रूपए से ज्यादा की सम्पत्ति का हुआ था नुकसान
-जितेन्द्र शर्मा
जयपुर। जलदाय विभाग में वैसे तो ठेका कंपनियों पर अधिकारी और इंजीनियर्स की मेहरबानी का खेल कोई नया नहीं है,लेकिन मामला जब सीधे जनता और सरकारी सम्पत्ति के नुकसान का हो तो ये मेहरबानी किसी बेईमानी से कम नहीं होती। झुंझुनूं जिले के मलसीसर स्थित RWR (रॉ वाटर रिजर्वायर) टूटने के मामले में भी मैसर्स NCC कंपनी पर ऐसी ही मेहरबानी चल रही है।

मलसीसर RWR टूटने के मामले में बदनामी से बचने के लिए विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने तीन मुख्य अभियंताओं की जांच कमेटी बनाने के साथ ही नुकसान की भरपाई की वसूली कंपनी से करने के निर्देश दे दिए। लेकिन जैसे ही मामला ठंडा पड़ा पूरा विभाग कंपनी पर मेहरबान हो गया। मामले में भारी दबाव के चलते जांच कमेटी ने छोटी-मोटी खामियां गिनाते हुए मैसर्स NCC कंपनी को बचाने के सारे रास्ते छोड़ दिए, वहीं दूसरी ओर फहफ टूटने से हुए 4 करोड़ से ज्यादा के नुकसान की वसूली भी इंजीनियर्स के नोटिस तक सिमटकर रह गई। पांच महिने से ज्यादा का वक्त निकल जाने के बाद भी विभाग की ओर से न तो मैसर्स NCC कंपनी पर कोई कार्रवाई की गई और न ही मुआवजा राशि की वसूली की जा रही है।

अब इसे कंपनी पर विभाग के अधिकारी और इंजीनियर्स की मेहरबानी कहें या फिर अपने फर्ज के प्रति बेईमानी। दरअसल मैसर्स NCC लिमिटेड कंपनी के घटिया निर्माण और जलदाय विभाग इंजीनियर्स की लापरवाही व मिलीभगत के चलते 31 मार्च, 2018 को मलसीसर में बना रॉ वाटर रिजर्वायर टूट गया था। फहफ टूटने से करोडों रूपए की सम्पत्ति के नुकसान के साथ लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाला अमृत व्यर्थ बह गया। मामले में बदनामी और मीडिया की खबरों से बचने के लिए के विभाग के आलाधिकारियों ने आनन-फानन में जांच कमेटी बिठाने के साथ ही मैसर्स NCC कंपनी पर पानी और सम्पत्ति के 4 करोड़ 3 लाख 5 हजार 938 रूपए के नुकसान का जुर्माना लगा दिया। सूत्रों के अनुसार जैसे ही मामला ठंडा पड़ा कंपनी ने टॉप लेवल पर मामले को काफी हद तक मैनेज कर लिया।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण जांच कमेटी की करीब 4 माह बाद सौंपी गई वह रिपोर्ट है, जिसे पूरी तरह से गोपनीय रखा गया। भारी दबाव के चलते तीन मुख्य अभियंताओं की कमेटी से जांच में रॉ वाटर रिजर्वायर के निर्माण की बड़ी खामियों को नजर अंदाज करते हुए छोटी-मोटी खामियों को गिनाने के साथ ही मैसर्स NCC कंपनी को बचाने के कई रास्ते निकाल दिए। जांच कमेटी की ओर से यह रिपोर्ट पिछले महीने सीधे विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र को बंद लिफाफे में सौंपी गई थी। लेकिन एक माह का समय निकल जाने के बाद भी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

दूसरी तरफ मैसर्स NCC कंपनी पर सरकारी और निजी सम्पत्ति के नुकसान के साथ ही पानी की मुआवजा राशि की वसूली ठंडे बस्ते में पड़ी है। झुंझुनूं परियोजना वृत्त अधीक्षण अभियंता कार्यालय की ओर से हर महीने कंपनी से मुआवजा राशि वसूलने को लेकर नोटिस जारी किए जा रहे हैं लेकिन मुआवजा राशि वसूलने को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। झुंझुनूं जिला कलक्टर के सख्त निर्देशों के बाद कंपनी ने 5 महीने में मात्र 1 करोड़ 10 लाख 33 हजार 474 रूपए की जुर्माना राशि जमा कराई है। कंपनी पर अभी भी 2 करोड़ 92 लाख 72 हजार 464 रूपए की मुआवजा राशि बकाया है, जिसकी वसूली की बजाए इंजीनियर कंपनी को नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर रहे हैं।

-जांच कमेटी की रिपोर्ट गोपनीय क्यों?
जांच कमेटी की रिपोर्ट ने मलसीसर स्थित फहफ टूटने के मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है। कमेटी की ओर से करीब 4 माह बाद जांच रिपोर्ट सौंपी। इस जांच रिपोर्ट को पूरी तरह से गोपनीय रखा जा रहा है। भारी दबाव के चलते तत्कालीन मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट एवं टीएम डीएम जैन, मुख्य अभियंता ग्रामीण सीएम चौहान और तत्कालीन मुख्य अभियंता पीएमसी नागौर महेश करल की तीन सदस्यीय मुख्य अभियंताओं की कमेटी पिछले महिने सीधे विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र को बंद लिफाफे में सौंपी थी। इस जांच रिपोर्ट पर टॉप लेवल से पूरी तरह गोपनीयता बरती जा रही है। सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में कमेटी ने कुछ ऐसे बिन्दुओं को छेड़ दिया है, जिनकी जांच से कंपनी के कई पुराने राज खुलने के साथ ही कई टॉप अधिकारियों के कमीशन का भंडाफोड़ भी हो सकता है।

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