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जितेन्द्र शर्मा
जयपुर। जयपुर नगर निगम में अधिकारियों की मिलीभगत से ठेका फर्मों द्वारा किए गए पीएफ-ईएसआई के 4-5 करोड़ के घोटाले का मामला काफी चचार्ओं में रहा। मामला एसीबी में पहुंचने के बाद कई अधिकारियों और ठेका फर्मों पर कार्रवाई भी हुई। लेकिन जलदाय विभाग में इससे भी बड़े घोटाले पर विभाग के आलाधिकारियों की मिलीभगत से इंजीनियर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। विभाग के इंजीनियर ठेका फर्मों के साथ मिलकर विभागीय योजनाओं के आॅपरेशन एण्ड मेंटीनेंस के साथ अन्य अनुबंध कार्यों हुए करोड़ों रूपए के घोटाले को छुपाने में जुटे हैं। घोटाला उजागर होने के डर से प्रदेश के किसी भी कार्यालय ने विभागीय योजनाओं के ओएण्डएम और अन्य अनुबंधों में लगे श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई की आज तक सूचना नहीं भेजी है, जबकि विभाग के वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी कार्यालय की ओर से 6 सितम्बर को जलदाय विभाग के सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को पत्र लिखकर 7 दिवस में विभागीय पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम और अन्य अनुबंध के कार्यों में संवेदकों के द्वारा नियोजित श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई की सूचना मांगी थी। 45 दिन निकल जाने के बाद भी विभाग के किसी भी कार्यालय की ओर से सूचना नहीं भिजवाई गई। सूचना नहीं भिजवाने पर वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी ओर से विभाग के सभी अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को रिमाण्डर जारी कर अतिशीघ्र सूचना भिजवाने के लिए लिखा गया, लेकिन अभी तक विभाग के किसी भी कार्यालय की ओर से पीएफ-ईएसआई की सूचना नहीं भिजवाई गई है। विभाग की हजारों पेयजल योजनाओं में हुए पीएफ-ईएसआई के करोड़ों के घोटाले में इंजीनियर्स की मिलीभगत सामने आ रही है। विभाग में इतना गंभीर मामला होने के बाद भी आलाधिकारियों द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लेने कारण पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पूरे मामले पर विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र की चुप्पी के कारण हजारों नियोजित श्रमिकों के हितों पर बड़ा कुठाराघात होने के साथ ही करोड़ों रूपए के गबन में शामिल इंजीनियर्स और ठेका फर्मों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

दरअसल प्रदेश में चल रही हजारों करोड़ की पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम और अन्य अनुबंध कार्यों की शर्तों के अनुसार ठेका फर्मों को नियोजित श्रमिकों का वेतन सीधे उनके बैंक अकाउंट में जमा कराने के साथ ही उनके पीएफ-ईएसआई का पैसा संबंधित कार्यालयों में जमा कराना था। ठेका फर्मों द्वारा खुलेआम टेंडर शर्तों की धज्जियां उड़ाई गई और मोटे कमीशन के लालच में विभाग के इंजीनियर्स ने भी गबन के इस खेल में ठेका फर्मों का साथ दिया और उन्हें भुगतान करते रहे। ठेका फर्मों द्वारा टेंडर शर्तों के अनुसार न तो मैनपावर लगा रहे हैं और ना ही आवश्यक संसाधन लगाते है। ठेका फर्मों द्वारा कार्यों में एक चैथाई ही मैन पावर लगाया जाता है और फिर फर्जी श्रमिकों के नाम से करोड़ों रूपए का भुगतान उठा लिया जाता है। इतना ही नहीं जलदाय विभाग द्वारा भुगतान किए जाने के बाद भी ठेका फर्मों द्वारा नियोजित श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई पैसा भी उनके अकाउंट खुलवाकर जमा कराने की बजाए खुद ही डकार रहे हैं। प्रदेशभर में जलदाय विभाग की ओएण्डएम और अनुबंध की अन्य योजनाओं में लंबे समय से यह मिलीभगत का खेल चल रहा है। विभाग में करोडों़ के गबन का यह खेल इंजीनियर्स की मिलीभगत और आलाधिकारियों की अनदेखी के चलते लंबे समय से चल रहा है। कमीशन के लालच में इंजीनियर्स ठेका शर्तों की पालना कराना तो दूर, श्रमिकों के पीएफ-ईएसआई के गबन को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। विभाग में इतना गंभीर मामला होने के बाद भी आलाधिकारियों द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। विभाग के प्रमुख शासन सचिव द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, जबकि विभाग में पीएफ-ईएसआई के घोटाले की विशेष जांच कराई जाए तो विभाग का एक और बड़ा घोटाला सामने आएगा।

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