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फजीर्वाड़े को लेकर जोधपुर डिस्कॉम ने किया था ब्लैकलिस्ट
जयपुर। बिजली कंपनियों में फर्जी दस्तावेजों से ठेका फर्मों द्वारा करोड़ों रूपए के काम हासिल किए जा रहे हैं। ठेका फर्मों द्वारा फजीर्वाड़े का यह सारा खेल बिजली कंपनियों के आलाधिकारियों की मिलीभगत से खेला जा रहा है। फजीर्वाड़े के खेल का पदार्फाश होने के बाद भी बिजली कंपनियों की ओर से ठेका फर्मों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। मैसर्स रघु सैल्स, मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी, मैसर्स स्वास्तिक और मैसस आॅरियन्टल जैसी कंपनियां फजीर्वाड़े के दम पर बिजली कंपनियों में इतने अंदर तक अपनी जड़े जमा चुकी है कि अब विभाग के अधिकारी इन फर्मों पर कार्रवाई करने से कतराते हैं। विभाग के मंत्री से लेकर सीएमडी और एमडी की छत्रछाया में इन कंपनियों का फजीर्वाड़े का खेल लगातार जारी है। विभाग के आलाधिकारियों की ही मेहरबानी का खेल है कि जोधपुर डिस्कॉम द्वारा फजीर्वाड़े के मामले में 5 साल के लिए पांचों बिजली कंपनियों में ब्लैकलिस्ट की गई फर्म को जयपुर डिस्कॉम और अजमेर डिस्कॉम में करोड़ों रूपए के काम दिए जा रहे हैं। दरअसल मैसर्स रघु सैल्स और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी द्वारा फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों रूपए के काम हासिल करने के एक मामले में जोधपुर डिस्कॉम द्वारा 5 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था, लेकिन दूसरी ओर ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी जयपुर और अजमेर डिस्कॉम द्वारा दोनों फर्मों को करोड़ों रूपए के काम दिए गए। बिजली कंपनियों में चहेती फर्मों को मोटा फायदा पहुंचाने के लिए पिछले कई सालों से नियम और शर्तों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। मैसर्स रघु सैल्स और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी की ओर से किए जा रहे फजीर्वाड़े के मामलों की शिकायत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत और बिजली कंपनियों के सीएमडी से भी की गई, लेकिन आज तक इन दोनों फर्मों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। विभाग के आलाधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे इस फजीर्वाड़े के खेल से ये ठेका फर्में करोड़ों रूपए के काम हासिल कर चुकी है। इन ठेका कंपनियों द्वारा पहले फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों के काम हासिल किए जाते हैं और कार्यों में फजीर्वाड़ा कर राज्य सरकार को करोड़ों रूपए का चूना लगाया जा रहा है।
ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी मैसर्स रघु सैल्स ने जमकर किया फजीर्वाड़ा
फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों के बिजली कार्य हासिल करने का मामला उजागर होने के बाद जोधपुर डिस्कॉम की तत्कालीन एमडी आरती डोगरा ने मैसर्स रघु सैल्स, मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी सहित तीन कंपनियों को 5 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था। जोधपुर डिस्कॉम में तीनों कंपनियों के दस्तावेजों की जांच में फजीर्वाड़ा उजागर होने के बाद मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी पर यह कार्रवाई की गई थी। लेकिन ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी फर्म फजीर्वाड़ा करने से बाज नहीं आई। फर्म की ओर से फजीर्वाड़ा कर जयपुर डिस्कॉम में करोड़ों रूपए के काम हासिल किए। अजमेर डिस्कॉम में भी फर्म की ओर से दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के करोड़ों रूपए के कार्य हासिल करने के लिए डिस्कॉम अधिकारियों की मिलीभगत फर्जी दस्तावेज लगाए। फर्म की ओर से टेंडर संख्या-44 में लगाए गए सभी वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट फर्जी थे। संबंधित कार्यालयों में जब आरटीआई से इन दस्तावेजों की जानकारी मांगी गई तो सभी कार्यालयों ने ऐसा कोई रिकार्ड या दस्तावेज होने से साफ मना कर दिया। फर्जी वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट का सारा खुलासा विभाग की ओर से आरटीआई में दिए गए इन दस्तावेजों से साफ हो रहा है-

केस नंबर-1
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी की ओर से अजमेर डिस्कॉम के टेंडर संख्या-44 में अधिशाषी अभियंता कार्यालय कोटपूतली के टेंडर संख्या-256 का वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लगाया गया। जब आरटीआई में अधिशाषी अभियंता कार्यालय से वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी गई तो, अधिशाषी अभियंता कोटपूतली द्वारा 16 जुलाई, 2018 को अपने जवाब में बताया कि कार्यालय से वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं हुआ है। कार्यालय में वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट को लेकर कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है।

केस नंबर-2
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी की ओर से अजमेर डिस्कॉम के टेंडर संख्या-44 में अधिशाषी अभियंता कार्यालय शाहपुरा के टेंडर संख्या-174 का वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लगाया गया। जब आरटीआई में अधिशाषी अभियंता कार्यालय से वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी गई तो, अधिशाषी अभियंता शाहपुरा टी.एस.राजावत ने 26 जून, 2018 को जवाब में बताया कि कार्यालय में वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट को लेकर कोई रिकार्ड या अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है।

केस नंबर-3
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी की ओर से अजमेर डिस्कॉम के टेंडर संख्या-44 में अधिशाषी अभियंता कार्यालय नगर संभाग पंचम जयपुर का वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लगाया गया। जब आरटीआई में अधिशाषी अभियंता कार्यालय नगर संभाग-पंचम जयपुर से वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी गई तो, अधिशाषी अभियंता नगर संभाग-पंचम आर.के.पालीवाल ने बताया कि कार्यालय में वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट को लेकर कोई रिकार्ड या अन्य जानकारी नहीं है।

केस नंबर-4
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी की ओर से अजमेर डिस्कॉम के टेंडर संख्या-44 में अधिशाषी अभियंता कार्यालय नगर संभाग तृतीय जयपुर का वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लगाया गया। जब आरटीआई में अधिशाषी अभियंता कार्यालय नगर संभाग-तृतीय जयपुर से वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी गई तो, अधिशाषी अभियंता नगर संभाग-तृतीय रामस्वरूप लाल ने बताया कि कार्यालय में वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट को लेकर कोई रिकार्ड या अन्य जानकारी नहीं है।

केस नंबर-5
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी की ओर से अजमेर डिस्कॉम के टेंडर संख्या-44 में अधिशाषी अभियंता कार्यालय जिला खण्ड-प्रथम जयपुर का वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लगाया गया। जब आरटीआई में अधिशाषी अभियंता कार्यालय जिला खण्ड-प्रथम जयपुर से वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी गई तो, अधिशाषी अभियंता जिला खण्ड-प्रथम विनय कुमार अग्रवाल ने बताया कि कार्यालय में वर्क कम्प्लीशन सर्टिफिकेट को लेकर कोई रिकार्ड या अन्य जानकारी नहीं है।

मैसर्स रघु सैल्स के पुराने दस्तावेजों को भी कर दिया मान्य
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अजमेर डिस्कॉम के टेंडर संख्या-44 की शर्तों के अनुसार 1 अप्रेल, 2008 के बाद के ही दस्तावेज ही मान्य होंगे। चूंकि टेंडर क्वालिफिकेशन शर्तों में मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरशन पास नहीं हो रही थी, ऐसे में फर्म द्वारा 2007 का वर्क कम्लीशन सर्टिफिकेट लगा दिया, जिसे भी अजमेर डिस्कॉम के अधीक्षण अभियंता द्वारा मान्य कर दिया गया। फर्म की ओर से लगाए गए इन दस्तावेजों की शिकायत होने के बाद भी फर्म पर कोई कार्रवाई करने की बजाए, उसे फजीर्वाड़े पर पुरस्कृत करते हुए 80 करोड़ के काम सौंप दिए गए।

5 साल के लिए ब्लैकलिस्ट फर्म को करोड़ों के काम
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी को जोधपुर डिस्कॉम में फर्जी दस्तावेजों से करोड़ों रूपए के टेंडर हासिल करने के मामले का खुलासा होने के बाद जोधपुर डिस्कॉम एमडी की ओर से 9 सितम्बर, 2015 में फर्म के कार्यों को निरस्त करने, एसडी जब्त करने के साथ ही इन फर्मों को पांचों बिजली कंपनियों में 5 साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था। लेकिन ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी जयपुर डिस्कॉम में मैसर्स रघु सैल्स को जयपुर डिस्कॉम में करोड़ों रूपए के काम दिए गए। फर्म की ओर से फर्जी शपथ पत्र लगाकर ये काम हासिल किए गए, जिसमें फर्म ने बताया कि उस पर विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं चल रही है। जबकि नियमानुसार किसी भी ब्लैकलिस्ट फर्म को कोई काम नहीं दिया जा सकता, लेकिन जयपुर डिस्कॉम में करोड़ों रूपए के काम दिए गए। आरटीआई में जब ब्लैकलिस्ट रघु सैल्स को करोड़ों की काम की जानकारी मांगी गई, तो विभाग के अधिकारियों ने ब्लैकलिस्ट होने की जानकारी से मना कर दिया, जबकि जोधपुर डिस्कॉम की ओर से सभी बिजली कंपनियों को जानकारी दी गई थी।

ऊर्जा राज्य मंत्री व सीएमडी की मैसर्स रघु सैल्स पर पूरी मेहरबानी!
मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी का फजीर्वाड़ा उजागर होने के बाद जोधुपर डिस्कॉम की ओर से फर्म को पांचों बिजली कंपनियों में 5 साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने के बाद भी फर्म को जयपुर डिस्कॉम और अजमेर डिस्कॉम में करोड़ों रूपए के काम दिए गए। बिजली कंपनियों के सूत्रों के अनुसार मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन और मैसर्स वेदप्रकाश एण्ड कंपनी ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत और बिजली कंपनियों के सीएमडी आर.जी.गुप्ता की बेहद खास और करीबी फर्म मानी जाती है, तभी तो पांचों बिजली कंपनियों में ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी जयपुर और अजमेर डिस्कॉम में फर्म को करोड़ों रूपए के काम दिए गए। ब्लैकलिस्ट होने के बाद भी जयपुर और अजमेर डिस्कॉम में मैसर्स रघु सैल्स कॉरपोरेशन को करोड़ों रूपए के काम देने की शिकायत ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्रसिंह राणावत और बिजली कंपनियों के चैयरमेन हो करने के बाद भी न तो आज तक फर्म के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई और न ही दोषी अधिकारियों पर ही कोई कार्रवाई हुई। ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्रसिंह राणावत और बिजली कंपनियों के चैयरमेन की मिलीभगत का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है।

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