Madhur Bhandarkar
Madhur Bhandarkar

जयपुर। अपने कैलिबर को लोगों तक पहुंचाने के लिए नवीन मीडिया एवं उन्नत तकनीक ने नवोदित फिल्म निर्माताओं को 15 से 20 मिनट की शॉर्ट फिल्में बनाने में सक्षम बनाया है। ये फिल्में उनकी रचनात्मकता में वृद्धि कर रही हैं और फिल्म फेस्टिवल, नेटफ्लिक्स एवं अमेजॅन जैसे मीडिया प्लेटफार्म के जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच रही हैं। बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने आज यह जानकारी दी। वे जयपुर में जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में आयोजित फैशन फेस्टिवल ‘लेकॉनिक 2019‘ के अंतिम दिन ‘लाइफ जर्नी’ सैशन में संबोधित कर रहे थे। दो दिवसीय यह फेस्टिवल फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ राजस्थान (एफडीसीआर) द्वारा आयोजित किया गया।
भंडारकर ने अपनी सफलता के टिप्स साझा करते हुए उपस्थित युवाओं को बताया कि कोई भी शुरूआत करने से पूर्व अपनी ग्रेजुएशन जरूर पूरी कर लेनी चाहिए। किसी के लिए निर्देशक अथवा अभिनेता बनने का निर्णय लेना आसान हो सकता है, लेकिन अपने सपने का अनुसरण करते समय दृढ़ विश्वास और अपनी सीमाओं को जानना भी आवश्यक होता है। श्री भंडारकर ने बताया कि वैकल्पिक एकेडमिक ऑप्शन का होना सदैव सहायक सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि संघर्ष एवं कड़ी मेहनत अतिरिक्त नेटवर्किंग एवं सही समय और सही स्थान पर होने की आवश्यकता भी होती है।

-वेंडेल रॉड्रिक्स का ‘ग्लिटराटी‘ सैशनः
‘ग्लिटराटी‘ थीम पर आयोजित सैशन में फैशन डिजाइनर वेंडेल रॉड्रिक्स द्वारा ना सिर्फ फैशन इंडस्ट्री में किए गए स्वयं के बहुआयामी कार्यों पर प्रकाश डाला गया, बल्कि बल्कि शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, चैरिटी एवं अन्य क्षेत्रों में किये गये उनके कार्यों के बारे में भी बताया गया। अपने अनूठे प्रोजेक्ट के बारे में रोड्रिक्स ने बताया कि किस प्रकार से उन्होंने गोवा में भारत की प्रथम डिजाइनर पुलिस यूनिफॉर्म और दृष्टिहीनों के लिए ब्रेल वस्त्र डिजाइन किए थे। उन्होंने आगे बताया कि उनके द्वारा लिखित तीन पुस्तकों में से एक पुस्तक ‘मोडा गोवा‘ के आधार पर गोवा में उनके चार बेडरूम के पुराने घर को किस प्रकार से भारत के प्रथम कॉस्ट्यूम म्यूजियम में परिवर्तित किया जा रहा है। रोड्रिक्स ने युवा डिजाइनरों एवं डिजाइन स्टूडेंट्स को सलाह दी कि प्रत्येक व्यक्ति का एक अलग नजरिया होता है, जो अन्य से भिन्न होता है और व्यक्ति को उससे प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि वह अपने डिजाइन में इनोवेशन कर सके। इस संदर्भ में उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि उनके कुछ वस्त्रों के डिजाइन पानी की लहरों तथा किताबों के पन्नों को खोलने जैसी घटनाओं से प्रेरित थे। उन्होंने आगे बताया कि किसी भी डिजाइनर द्वारा ना सिर्फ राज्य अथवा देश के लिए, बल्कि डिजाइन इंडस्ट्री में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम स्थापित करने के लिए कुछ नया करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह कहते हुए सैशन का समापन किया कि व्यक्ति को अपनी परंम्पराओं पर गर्व होना चाहिए और विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों में शर्ट एवं टाई के स्थान पर ‘कुर्ते‘ को विद्यार्थियों की यूनिफॉर्म बनानी चाहिए और ऑफिस एग्जीक्यूटिव्ज को पारम्परिक भारतीय वस्त्र पहनने की अनुमति होनी चाहिए।

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