-डॉ मोनिका ओझा खत्री
दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का समापन भाई दूज के दिन होता है। त्योहारों की श्रंखला में दिवाली पर्वों का समापन भाई दूज के दिन होता है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्व का विशेष महत्व है। इस बार भाई दूज 26 और 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार माना जाता है। 27 अक्टूबर को जो लोग भाई दूज का पर्व मनाएंगे, उनके लिए शुभ मुहूर्त 11 बजकर 7 मिनट से 13 बजकर 19 मिनट तक ही रहेगा। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है। भाईदूज एक ऐसा पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। भारत में रक्षा बंधन के अलावा यह दूसरा पर्व है जो भाई-बहन का स्नेह प्रतीक है।
यह त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है। उत्तर भारत में जहां यह चलन है कि इस दिन बहनें भाई को अक्षत और तिलक लगाकर नारियल देती हैं वहीं पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं। इस दिन भाई बहनों से मिलने उनके घर जाते हैं और बहने भी भाइयों के माथे पर तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना करती है। उनकी आरती उतारती हैं। वहीं, भाई भी बहनों के प्रति प्यार दिखाते हुए उन्हें उपहार देते हैं। भाई दूज के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट बजे तक का है। इस समय पर भाई को टीका करना अच्छा रहेगा। धार्मिक कथा के अनुसार सूर्य देवता की पत्नी का नाम संज्ञा था तथा इनकी दो संताने थी। इनके पुत्र का नाम यमराज तथा पुत्री का नाम यमुना। यमदेव बहन यमुना से अलग रहते थे, लेकिन मिलने के लिए आते रहते थेद्य जब यम देव ने यमपुरी नगरी का निर्माण किया तो
उनकी बहन यमुना भी उनके साथ रहने लगी। भाई यम के द्वारा यमपुरी में पापियों को दंड देते देख यमुना काफी दुखी होती थी। इसलिए वह यमपुरी का छोड़कर गो लोक में रहने चली गयी। कुछ समय बाद जब यमराज स्वयं गोलोक गए, तब उनकी भेट यमुना जी से हुई। पौराणिक कथा के अनुसार देवी यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थी लेकिन वे दोनों लंबे समय तक मिल नहीं पाते थे। एक बार यम अचनाक दिवाली के बाद बहन यमुना से मिलने पहुंच गए। खुशी में यामी ने तमाम तरह के पकवान बनाए और भाई यम के माथे पर तिलक किया। इससे खुश होकर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि यम हर साल उनसे मिलने आएं और आज के बाद जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करे उसे यमराज का डर न रहे। यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया और उस दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा। मान्यता है कि जो बहनें अपने भाई के तिलक करती हैं उनकी उम्र लंबी होती है।

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