Why is the Liquidation Department not N-N-D-Bar?

जयपुर। जलदाय विभाग में मैसर्स एनसीसी कंपनी पर मेहरबानी का खेल जारी है। मलसीसर रॉ वाटर रिजर्वायर (डिग्गी) के टूटने के बाद जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने 31 मार्च, 2018 को ही मैसर्स एनसीसी को डी-बार करने के लिए यूओ नोट जारी कर दिया था। उसी दिन मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट की ओर से भी फर्म को डी-बार करने पर सहमति दे दी गई थी। इसी क्रम में अतिरिक्त मुख्य अभियंता प्रोजेक्ट चूरू द्वारा भी 2 अप्रेल, 2018 को मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की अनुंशसा भेज दी गई। इतना ही नहीं 1 जून, 2018 को विभाग के संयुक्त शासन सचिव द्वारा भी फर्म को डी-बार करने के लिए पत्र लिखा गया और 16 अगस्त, 2018 को मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट की ओर से फर्म को डी-बार करने के लिए फिर से मुख्य अभियंता अरबन को पत्र लिखा गया, लेकिन फिर भी फर्म को डी-बार नहीं किया गया। जनप्रहरी एक्सप्रेस द्वारा मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार नहीं करने का खुलासा करने के बाद विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र ने 24 सितम्बर, 2018 को मामले पर समीक्षा करते हुए फर्म को तत्काल डी-बार करने के साथ ही बकाया पैनल्टी की वसूली करने और दोषी इंजीनियर्स की डीओपी को शीघ्र चार्जशीट भेजने के निर्देश दिए।

प्रमुख शासन सचिव के निर्देश के बाद मुख्य अभियंता अरबन आई.डी.खान की ओर से खुद को बचाने के लिए 27 सितम्बर, 2018 को मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट को एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की स्पष्ट अनुंशषा भेजने के लिए पत्र लिखा गया। अब मुख्य अभियंता अरबन आई.डी.खान को कौन समझाए कि जब 31 मार्च, 2018 को ही विभाग के प्रमुख शासन सचिव की ओर से मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने का यूओ नोट जारी कर दिया गया। मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट, अतिरिक्त मुख्य अभियंता प्रोजेक्ट चूरू द्वारा मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की अनुशंषा की जा चुकी, फिर डी-बार करने की ये स्पष्ट अनुशंषा क्या होती है। विभाग के प्रमुख शासन सचिव की ओर से डी-बार करने को लेकर जारी यूओ नोट की कार्रवाई के लिए पर्याप्त होता है, फिर से स्पष्ट अनुशंषा का क्या मतलब होता है। और अब तो मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट की ओर से 8 अक्टूबर, 2018 को मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने की स्पष्ट और सच्चाई उजागर करने वाली अनुशंषा भेज दी गई है, तो फिर 7 दिन बाद भी मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने का आदेश क्यों नहीं जारी किया गया।

उल्लेखनीय है कि 31 मार्च, 2018 को मलसीसर स्थित आरडब्ल्यूआर टूटने के बाद जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र के साथ झुंझुनूं जिला कलक्टर और विभाग के तीन मुख्य अभियंताओं की टीम ने मलसीसर आरडब्ल्यूआर स्थल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान प्रारम्भिक जांच में आरडब्ल्यूआर टूटने के लिए मैसर्स एनसीसी कंपनी और विभागीय इंजीनियर्स को जिम्मेदार ठहराया। प्रमुख शासन सचिव की ओर से विभाग के दो अधिशाषी अभियंताओं को दोषी मानते हुए उन्हें तत्काल सस्पेंड करने के आदेश जारी किए। दूसरी ओर कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने वाली कंपनी को नुकसान और आरडब्ल्यूआर टूटने के लिए दोषी मानते हुए उस पर 4 करोड़ 74 लाख रूपए की पैनल्टी वसूलने के साथ ही उसे 3 साल के लिए विभाग से डी-बार करने के आदेश जारी किए थे। विभाग की ओर से दो अधिशाषी अभियंताओं को तो तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए गए, लेकिन दूसरी ओर पौने 6 माह निकल जाने के बाद मैसर्स एनसीसी कंपनी से मात्र 1 करोड़ 10 लाख रूपए की वसूली की गई है। इतना ही नहंीं विभाग के अधिकारी कंपनी पर कठोरतम दण्ड के रूप में 3 साल के लिए डी-बार करने की सजा को तो भूल ही गए। 6 माह से ज्यादा का समय निकल जाने के बाद भी विभाग की ओर से मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार नहीं करने का मामला जनप्रहरी एक्सप्रेस की ओर से उठाया गया था। अब इसे जलदाय विभाग के इंजीनियर्स की भूल कहें या फिर मेहरबानी, लेकिन विभाग के अधिकारियों के इस कृत्य ने एक बार फिर पूरे विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

एक-दो दिन में कर देंगे…
मलसीसर मामले में मैसर्स एनसीसी कंपनी को डी-बार करने को लेकर कमेटी ने तो मार्च में ही प्रपोज कर दिया था, लेकिन मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट ने अनुशंषा ही अब भेजी है। अब एक-दो दिन में फर्म को डी-बार करने के आदेश जारी कर देंगे।
– आई.डी.खान, मुख्य अभियंता, अरबन एण्ड एनआरडब्ल्यू, पीएचईडी

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