Capital Limit in Major Tenderers

-भवानी सिंह गौड़
जयपुर। जलदाय विभाग में आमजन की समस्याओें का मुख्यमंत्री हैल्पलाइन और टोल फ्री सेवा के माध्यम से निस्तारण करने को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट है। एक वरिष्ठ नागरिक पिछले छह महिने से विभाग की लापरवाही को दुरूस्त कराने के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहा है, और उसकी सुनवाई नहीं हो रही। यह हाल तो विभाग के सिविल लाइन्स स्थित उस कार्यालय का है, जहां प्रदेश की पूरी सरकार निवास करती है। मजेदार बात तो ये है कि एक ओर जहां प्रदेश की मुख्यमंत्री खुद लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं जानकर उनका निस्तारण करवा रही है, लेकिन दूसरी ओर उनके निवास से महज कुछ दूरी पर स्थित जलदाय विभाग के एक उपखण्ड कार्यालय में मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश भी बेअसर साबित हो रहे हैं।

दरअसल राजधानी के अम्बेष्वर कॉलोनी न्यू सांगानेर रोड निवासी संतोष कुमार षर्मा अपने पानी के बिल में गलत पता ठीक करवाने के लिए पिछले छह माह से जलदाय विभाग के सिविल लाइन्स स्थित कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पानी के बिल में पता ठीक होना तो दूर की बात, विभाग के इंजीनियर्स ने उन्हें संतोषजनक जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा। विभाग के सिविल लाइन्स स्थित सहायक अभियंता कार्यालय में चक्कर काट-काटकर थक चुके वरिष्ठ नागरिक संतोष कुमार षर्मा ने सुनवाई नहीं होने पर 30 जून को मानवाधिकार आयोग में गुहार लगाई। मानवाधिकार आयोग की ओर से मामले की रिपोर्ट मांगें जाने के बाद भी विभाग के इंजीनियर्स की ओर से उपभोक्ता की समस्या का समाधान करने की बजाए में रिपोर्ट की खानापूर्ति में जुटे हुए हैं। समस्या को लेकर सुनवाई नहीं होने पर वरिष्ठ नागरिक की ओर से मजबूर होकर बडी उम्मीदों के साथ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को करबद्ध निवेदन के साथ पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग की। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जलदाय विभाग प्रमुख षासन सचिव रजत कुमार मिश्र को शिकायती पत्र भेजकर समाधान के लिए भेजा गया। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जितनी गंभीरता के साथ पत्र भेजा गया जलदाय विभाग के इंजीनियर्स ने उतनी ही लापरवाही के साथ एक-दूसरे को चिट्ठी भेजकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। मानवाधिकार आयोग और मुख्यमंत्री से शिकायत करने के 2 माह बाद भी एक वरिष्ठ नागरिक के पानी के बिल में कॉलोनी का नाम नहीं बदला जा सका। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेष के जलदाय विभाग में एक छोटी सी समस्या के समाधान के लिए मानवाधिकार आयोग और मुख्यमंत्री कार्यालय के सिफारशी पत्रों की सुनवाई नहीं हो रही, उस विभाग में एक आमजन की शिकायतों का क्या हाल होता होगा?

ये है मामला
दरअसल प्लॉट नंबर-9, अम्बेष्वर कॉलोनी, न्यू सांगानेर निवासी संतोष कुमार षर्मा के पानी के बिल में पता-9, षिवपुरी कॉलोनी, न्यू सांगानेर के नाम से दिया जा रहा है। कॉलोनी के बाकी उपभोक्ताओं के पानी का बिल भी अम्बेश्वर कॉलोनी के नाम से ही दिया जा रहा है। पेयजल उपभोक्ता संतोष कुमार षर्मा द्वारा पानी के बिल में कॉलोनी का नाम शिवपुरी के स्थान पर अम्बेश्वर करवाने के लिए जलदाय विभाग के सिविल लाइन्स स्थित उपखण्ड कार्यालय पर संपर्क किया। एक वरिष्ठ नागरिक को उपखण्ड कार्यालय पर कई चक्कर कटवाने के बाद भी जेईएन, एईएन द्वारा सुनवाई नहीं की गई। मजबूर होकर उपभोक्ता द्वारा पहले मानवाधिकार आयोग और फिर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से गुहार लगाई। लेकिन दो माह बाद भी उपभोक्ता की समस्या का समाधान नहीं हुआ। आमजन की शिकायतों के लेकर भले ही प्रदेश में मुख्यमंत्री हैल्पलाइन है, जलदाय विभाग का अपना टोल फ्रंी सेंटर है, लेकिन वरिष्ठ नागरिक संतोष कुमार शर्मा की समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है।

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