Ujala plan launches Malaysia

20 लाख बीपीएल, 42 लाख छोटे घरेलू उपभोक्ता व 14 लाख किसानों पर बढोत्तरी का भार सरकार उठाएगी
जयपुर, 6 फरवरी। ऊर्जा मंत्री डॉ0 बी.डी. कल्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कुप्रबंधन के कारण डिस्कॉम्स का घाटा एवं देनदारियां लगातार बढ़ती रहीं। पिछली सरकार जाते समय डिस्कॉम्स पर करीब 90 हजार करोड़़ का घाटा एवं 66 हजार करोड़ रुपये का कर्ज छोड़कर गई। वर्ष 2018-19 में वितरण निगमों को 9 हजार 393 करोड़ रुपये का वार्षिक घाटा रहा।

डॉ0 कल्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने उदय योजना के तहत वितरण निगमों के वित्तीय सुधार एवं छीजत कम करने की दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किए। उदय योजना के तहत उन्हें छीजत को मार्च, 2019 तक घटाकर 15 प्रतिशत तक लाना था। वह कम होना तो दूर रहा उल्टे जो एटीएंडसी लॉस (एग्रीगेट टेक्निकल एण्ड कामर्शियल लॉसेस) हमारी सरकार के समय वर्ष 2012-13 में 20 प्रतिशत ही थे, वह बढ़कर नवम्बर, 2018 में गत सरकार के समय 24.72 प्रतिशत हो गए। इसको अब हम कम करते हुए मार्च, 2019 में 21.87 प्रतिशत तक ले आए हैं। आने वाले दो साल में इन्हें 15 प्रतिशत तक लाने की हमारी योजना है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए इनकी कार्यकुशलता में बढोत्तरी एवं विद्युत छीजत 15 प्रतिशत लाने की दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है। विनियामक आयोग द्वारा विद्युत दरों में की गई वृद्धि में से 2469 करोड़ रुपये का भार राज्य सरकार वहन करेगी, इससे 20 लाख बीपीएल व 42 लाख छोटे घरेलू उपभोक्ताओं तथा 14 लाख किसानों की बिजली की दरों में कोई प्रभावी वृद्धि नहीं होगी। इस प्रकार राज्य के कुल 133 लाख उपभोक्ताओं में से 76 लाख उपभोक्ता जो कि कुल उपभोक्ताओं का 57 प्रतिशत है, पर इस बढ़ोतरी का कोई असर नहीं पड़ेगा।

वर्तमान में हमारी सरकार 14 लाख किसानों को विद्युत दरों में 12 हजार 500 करोड़ रुपये का अनुदान दे रही है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने यह घोषणा की थी कि पांच साल तक किसानों की विद्युत दरों में वृद्धि का भार सरकार स्वयं वहन करेगी। हम इस वादे को पूरा करते हुए विनियामक आयोग द्वारा किसानों पर की गई 2347 करोड़ की बढोतरी का समस्त भार उठाएंगें। इसी तरह 42 लाख छोटे उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले 122 करोड़ रुपये के भार को भी सरकार वहन करेगी।

डॉं0 कल्ला ने कहा कि राजस्थान की विद्युत दरें अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है। ये दरें घटते हुए क्रम में घरेलू में तीसरे, अघरेलू में पांचवें, कृषि में चौदहवें, लघु उद्योग में छठे, मध्यम उद्योग में पांचवें व बडे़ उद्योग में सातवें स्थान पर है।

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