– राजस्थान संवाद से अनुबंधित क्रियोंस एड कंपनी के संचालक अजय चौपड़ा के सरकारी विज्ञापनों के करोड़ों रुपए के फर्जी बिलिंग और विज्ञापनों की मिलीभगत में सूचना व जनसम्पर्क विभाग, डीपीआर के तत्कालीन अफसरों को आरोपी नहीं बनाए जाने पर एसीबी कोर्ट में लगी अर्जी

– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार में सरकारी विज्ञापनों में कथित करोड़ों रुपए के घोटाले मामले में सूचना व जनसम्पर्क विभाग और डीपीआर के तत्कालीन अफसरों के खिलाफ भी शिकंजा कसेगा। अभी तक सिर्फ राजस्थान संवाद से जुड़ी व अनुबंधित क्रियोंस एड कंपनी के मालिक अजय चौपड़ा व अन्य को ही आरोपी बनाया है, जबकि करोड़ों रुपए के इस घोटाले में लिप्त और नियम-कायदों के विपरीत विज्ञापन जारी करके सरकारी कोष को चपत लगाने वाले अफसरों को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है। जबकि अनुसंधान में अफसरों की भी लिप्तता सामने आ चुकी है। दस्तावेजों में डीपीआर निदेशक व विभाग के दूसरे आला अफसरों की सरकारी विज्ञापन जारी करने संंबंधी कई अनुशंषा और आदेश दस्तावेजों में है। इस संबंध में एसीबी को साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर एसीबी मामलात की कोर्ट में अफसरों को आरोपी बनाए जाने की अर्जी लगी है। न्यायाधीश बलजीत सिंह ने परिवादी एडवोकेट शंकर लाल गुर्जर की अर्जी पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए एसीबी के एसपीपी को अर्जी दिलाते हुए मामले में सुनवाई के लिए 2 मार्च तारीख तय की है। अर्जी में बताया है कि 2008 से 2013 तक क्रियोन्स एड एजेन्सी के मालिक अजय चौपडा व अन्य के खिलाफ सरकारी विज्ञापनों के फर्जी बिल उठाने की शिकायत एसीबी में दर्ज कराई गई। एसीबी के एएसपी मनीष त्रिपाठी ने 21 अप्रैल 2014 को अनुसंधान के बाद रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में माना है कि तत्कालीन मुख्य सचिव सी. के. मेथ्यू, आईएएस निरंजन आर्य, ताराचंद मीणा, शेलेन्द्ग अग्रवाल, डीपीआर निदेशक लोकनाथ सोनी और आईएएस पुरुषोत्तम अग्रवाल की ओर से अजय चौपडा को हुए गलत भुगतान में आपराधिक पर्यवेक्षणीय लापरवाही हुई है। अर्जी में आरोप लगाया कि इसके बावजूद इन अफसरों को आरोपी नहीं बनाया और ना ही इनके खिलाफ कार्रवाई व मामले में अनुसंधान किया गया। सरकारी विज्ञापनों के भ्रष्टाचार मामले में एसीबी ने पांच अलग-अलग मुकदमें दर्ज किए थे, लेकिन आईएएस व दोषी दूसरे अफसरों के नाम आरोपी सूची से हटा दिए गए। अर्जी में गुहार की गई कि इन अफसरों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।

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