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जयपुर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात मंत्री रमेश चंद मीणा ने शुक्रवार को बताया कि सीधे बिक्री करने वाली संस्थायें और कम्पनियां अब उपभोक्ताओं और बेरोजगारों से धोखाधड़ी नहीं कर पायेंगी। इसके लिये प्रत्यक्ष बिक्री से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियों को राज्य की विधि के अन्तर्गत लाने के लिये विस्तृत नियम बनाये गये हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार उद्योग जगत तथा उपभोक्ताओं के विधिक अधिकारों और हितों की सुरक्षा करने के लिये कृतसंकल्प है और इस बाबत सीधे बिक्री करने वाली संस्थाओं, कम्पनियों एवं विक्रेताओं की गतिविधियों पर निगरानी के लिये विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये हैं।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात शासन सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा ने बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलात मंत्री द्वारा उपभोक्ताओं को सीधे बिक्री करने वाली संस्थाओं, सेवा प्रदाता प्रतिष्ठानों और मल्टी लेवल मार्केटिंग कम्पनियों के चंगुल से बचाने और उनके अधिकारों एवं हितों की सुरक्षा करने के लिये आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये थे। इस संबंध में उपभोक्ता हितों का संरक्षण प्राथमिकता से करने के लिये सभी जिला कलक्टर जो जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद् के अध्यक्ष भी हैं को दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। श्रीमती सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में सीधी बिक्री या सेवा प्रदाता का कार्य करने के लिये संस्था, प्रतिष्ठान या कम्पनी को भारत की विधि के अन्तर्गत विधिक रूप से पंजीकृत होना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि अब ऎसे संस्थाओं को प्रत्यक्ष बिक्री संचालन से जुड़े सभी विक्रेताओं को व्यवसाय के संबंध में उचित एवं सटीक जानकारी साझा करना जरूरी किया गया है। शासन सचिव ने बताया कि सभी जिला कलक्टरों को जिले में प्रत्यक्ष बिक्री व्यवसाय से जुड़ी संस्थाओं से उनकी व्यावसायिक गतिविधियों एवं संचालन के संबंध में शपथ-पत्र, घोषणा पत्र तथा अन्य वांछित सूचना प्राप्त करने के निर्देश दिये गये हैं ताकि उपभोक्ताओं एवं बेरोजगारों के हितों का संरक्षण संभव हो सके।

उन्होंने बताया कि अब कोई भी प्रत्यक्ष बिक्री संस्था या व्यक्ति प्रत्यक्ष बिक्री व्यवसाय की आड़ में धनपरिचालन स्कीम या पिरामिड़ स्कीम में भागीदारी नहीं कर सकेगा तथा उसे उपभोक्ताओं की शिकायतों पर प्रभावी कार्यवाही करनी होगी। उन्होंने बताया कि इसके लिये प्रत्येक संस्था को प्रतितोष निवारण समिति का गठन करना होगा जिसमें आमजन की शिकायतों का उचित संधारण करना होगा तथा मांगे जाने पर शिकायतों के संबंध में की गई कार्यवाही की सूचना संबंधित शिकायतकर्ता को उपलब्ध करानी होगी।

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