Donald Trump

नई दिल्ली। कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा व समानता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी एक अलग ही सोच रखते हैं। तभी तो महिलाओं के अधिकारों को लेकर जहां वैश्विक स्तर पर मुहिम छिड़ी हुई है। वहीं राष्ट्रपति टं्रप ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले कानूनों को ही रद्द कर दिया। ट्रंप ने इन कानूनों को रद्द करने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर समूचे विश्व को चौंका दिया है। ऐसे में अब अमेरिका में कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे होंगी तो पुरुष कर्मचारी महिला कर्मचारी का यौन उत्पीडऩ आसानी से कर सकेंगे। बता दें इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर थे। उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाए थे। वर्ष 2014 में जारी किए गए कार्यकारी आदेश के तहत कंपनियां श्रम व नागरिक अधिकार कानून के तहत कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रावधान था। वहीं पुरुषों के समान वेतन और पारदर्शिता लाने का प्रावधान था। इस कार्यकारी आदेश में एक रोचक तथ्य यह भी था कि यौन उत्पीडऩ के मामले में सुलह को लेकर महिला पर दबाव बनाने का पूरी तरह प्रतिबंध था। यह कार्यकारी आदेश रद्द होने के बाद अब महिलाओं को अपने अधिकारों को लेकर एक बार फिर नए सिरे से जंग लडऩी होगी। नेशनल वुमन लॉ सेंटर निदेशक माया रघु के अनुसार ट्रंप के इस फैसले के बाद यौन उत्पीडऩ के मामले में निजी अटॉर्नी के जरिए महिलाओं पर दबाव डालकर मामले को आसानी से रफा-दफा किया जा सकेगा। बरहाल ट्रंप के इस फैसले के बाद महिलाओं में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है। उनके इस फैसले की तीखी आलोचना भी सामने आने लगी है।

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