– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। देश-दुनिया में ख्यात अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में दस साल पहले जब बम धमाके हुए तो हर कोई दहल उठा था। हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग दरगाह में आते थे। किसी ने भी दरगाह परिसर में वो भी रमजान के पावन मौके पर बम धमाके की सुनी तो हर कोई हैरान रह गया। सरकार ने इसे आतंकी घटना करार देते हुए इसके पीछे पाकिस्तान की आईएसआई व उसके आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया तो जनता ने भी इसे मान लिया। बाद में कई महीनों की जांच की गई तो देश को ताज्जुब और हैरत करने वाली असलियत सामने आई। दरगाह परिसर में बम धमाके के पीछे भगवा (हिन्दु) आतंकवावद में लिप्त एक अतिवादी संगठन को जिम्मेदार ठहराया गया। यह संगठन अभिनव भारत के नाम से है और उसके सदस्यों को अजमेर ही नहीं दूसरे कई जगहों पर बम धमाकों में लिप्त होना बताया गया। देश दुनिया में आश्चर्य जाहिर किया गया। बम धमाकों के किसी मामले में पहली बार हिन्दु आतंकवाद का नाम गूंजा। तत्कालीन यूपीए सरकार और कांग्रेस नेताओं ने आरएसएस पर भी आरोप लगे कि वे इसके पीछे हैं। हालांकि भाजपा व आरएसएस ने इसका पुरजोर विरोध जताया। ऐसे किसी भी संगठन के साथ नहीं होने की बात कही। वहीं हिन्दु आतंकवाद का हौवा खड़ा करके भाजपा व आरएसएस को बदनाम करने का आरोप भाजपा ने यूपीए सरकार पर लगाया। खैर तब आरोप-प्रत्यारोप के बीच एनआईए ने अजमेर दरगाह मामले में कई लोगों को पकड़ा था। आरएसएस के बड़े पदाधिकारी इन्द्रेश कुमार से भी पूछताछ की थी। खैर अभी तक अभिनव भारत और उसके सदस्यों के आतंकी घटनाओं में लिप्त होने के संबंध में देश की किसी भी कोर्ट में आरोप साबित नहीं हो पाए हैं।
शुरुआत में अजमेर बम धमाकों के पीछे देश की खुफिया एजेंसियों ने पाक समर्थित लश्कर ए तोयबा पर शक जाहिर किया। बाद में मामले की जांच सीबीआई और फिर एनआईए को सौंपी तो बम धमाकों के पीछे हिन्दु अतिवादी संगठन अभिनव भारत से जुड़े सदस्यों का हाथ होना सामने आया। अनुसंधान में सामने आया कि मुस्लिम आतंकी संगठनों के देश के हिन्दु धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने से क्षुब्ध होकर हिन्दुवादी विचारधारा से जुड़े सदस्यों ने अभिनव भारत नाम से एक संगठन खड़ा किया। इसके सदस्यों ने मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थलों और स्थानों को टारगेट करके बम धमाके करने का षड्यंत्र रचा। देश के कई हिस्सों समझौता एक्सप्रेस, हैदराबाद मस्जिद, अजमेर दरगाह जैसे कई स्थानों पर बम धमाके किए गए। बड़ी संख्या में लोग हताहत भी हुए। तब खुफिया एजेंसियों ने अंदेशा जताया था कि देश का साम्प्रदायिक माहौल बिगाडऩे, हिन्दु-मुस्लिमों में मनमुटाव बढ़ाने और दंगे कराने के उद्देश्य से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तौयबा भारत में हिन्दु और मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर बम धमाके करवा रहे हैं। वर्ष 2006 से 2009 के बीच देश में दोनों समुदायों के धार्मिक स्थलों पर बम धमाके हुए। जब अजमेर बम ब्लास्ट की जांच की गई तो अतिवादी अभिनव भारत संगठन के बारे में सूचना मिली। इस संगठन से जुड़े भावेश पटेल, असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा जैसे कई लोगों को एनआईए ने धरा तो बम धमाकों की असलियत सामने आई। पूछताछ में इन्होंने स्वीकारा है कि इन्होंने अजमेर, हैदराबाद, समझौता एक्सप्रेस समेत कई स्थानों पर बम धमाके किए हैं। हालांकि बाद में इन मामलों की सुनवाई में ये सभी पूर्व में दिए गए बयानों से मुकर गए और साफ कहा कि उन्होंने कोई बम धमाके ना तो किए और ना इस षड्यंत्र में शामिल है। यह भी आरोप लगे कि भाजपा-आरएसएस को बदनाम करने की साजिश के तहत भगवा आतंकवाद का हौवा खड़ा किया गया है। अनुसंधान में एनआईए ने गिरफ्तार सभी आरोपियों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक और उसके संगठनों के सक्रिय सदस्य बताया। इन्होंने बम बनाने की ट्रेनिंग ली और बम धमाके भी किए। हालांकि बाद में वे सभी आरोपों से मुकर गए। कोर्ट जिरह में कहा कि एनआईए और सीबीआई ने दबाव देकर बम धमाके षड्यंत्र में शामिल होने संबंधी बयान लिए हैं। आरएसएस के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी इन्द्रेश कुमार पर भी अभिनव भारत संगठन से जुड़े होने, बम धमाकों के बारे में पता होने और षड्यंत्र में शामिल रहे आरोपियों के बारे में जानकारी होने के आरोप लगे। प्रारंभिक जांच में एनआईए-सीबीआई ने इन्द्रेश कुमार की लिप्तता को लेकर उनसे पूछताछ भी की गई। हालांकि एक महीने पहले अजमेर बम धमाके मामले की सुनवाई के दौरान एनआईए ने कोर्ट में एक अर्जी लगाई है, जिसमें इन्द्रेश कुमार व अन्य के खिलाफ कोई आरोप नहीं होने तथा जांच नहीं करने के बारे में बताया है। एनआईए की जांच में यह भी सामने आया कि मुस्लिम आतंकवाद के विरोध में अभिनव भारत संगठन खड़ा किया गया और संगठन के सदस्यों को ट्रेनिंग करवाकर बम धमाके करवाए गए। हालांकि अभी तक किसी भी कोर्ट ने अभिनव भारत संगठन और उसके सदस्यों पर भगवा आतंकवाद में लिप्तता के आरोप साबित नहीं हुए हैं। (जनप्रहरी एक्सप्रेस डॉट कॉम)
-जनप्रहरी एक्सप्रेस की ताजातरीन खबरों से जुड़े रहने के लिए यहां लाइक करें।

LEAVE A REPLY