– एनयूजेआई के दो दिवसीय अधिवेशन में पत्रकार सुरक्षा कानून, मीडिया काउंसिल, वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट को बरकरार रखने, रेलवे पास बहाली, मीडिया संस्थानों में वेजबोर्ड लागू करने, पत्रकारों की छंटनी पर रोक लगाने जैसे पत्रकार हितों के मुद्दों पर चर्चा और उक्त मांगों को लेकर संसद से सड़क तक संघर्ष करने का प्रस्ताव पारित।
जयपुर/नई दिल्ली। नेशनल यूनियन का जर्नलिस्ट्स इंडिया (एनयूजेआई)
के जयपुर में हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में डेढ़ हजार पत्रकारों की मौजूदगी में पत्रकार सुरक्षा कानून, वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, मीडिया काउंसिल के गठन, मीडिया संस्थानों में वेजबोर्ड लागू करने, पत्रकारों की छंटनी व कम वेतन देने, फेक न्यूज और फर्जी पत्रकारों के खिलाफ  अभियान चलाने का निर्णय किया गया। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ  जर्नलिस्ट्स से संबद्ध एनयूजेआई के 26-27 अगस्त 2023 को जयपुर की निम्स यूनिवसिज़्टी में आयोजित अधिवेशन में 26 राज्यों के 1500 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अधिवेशन में रेलवे पास की बहाली नहीं करने, मीडिया संस्थानों में जस्टिस मजीठिया वेजबोडऱ् लागू नहीं होने समेत अन्य मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार व मीडिया संस्थानों के प्रबंधन के खिलाफ  प्रस्ताव पारित किए गए और संसद पर प्रदर्शन करने का फैसला  किया गया। वहीं, राजस्थान में जन घोषणा पत्र में शामिल पत्रकार हितों के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे पत्रकार सुरक्षा कानून, पत्रकार आवास योजना का वादा पूरा नहीं करने को लेकर जार राजस्थान के पदाधिकारियों की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखा गया, जिससे सभी ने सर्वसम्मति से पारित किया गया। दो दिवसीय अधिवेशन के संयोजक, जार के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व एनयूजेआई की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य राकेश कुमार शर्मा ने राजस्थान की प्रगति रिपोर्ट बताते हुए देशभर से आए सदस्यों को बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने जन-घोषणा पत्र में जार के प्रतिवेदन पर पत्रकार सुरक्षा कानून, पत्रकार आवास योजना समेत अन्य मांगों को लागू करने की घोषणा की थी। सरकार ने डिजिटल पॉलिसी व अधिस्वीकरण के नियम सरकलीकरण तो लागू कर दिए। सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार सम्मान निधि और छात्रवृत्ति योजना से पत्रकार समाज को आर्थिक संबल दिया, लेकिन पत्रकार की सबसे महत्वपूर्ण मांग पत्रकार आवास योजना और पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू नहीं किया। अशोक गहलोत सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने को है, लेकिन उक्त मांगों को लेकर गहलोत सरकार गंभीर नहीं है। चिकित्सकों व वकीलों के लिए कानून बन गए, लेकिन पत्रकार समाज के लिए कानून अमल में नहीं लाया गया। पांच साल में राजस्थान के एक भी जिले में पत्रकार आवास योजना सृजित नहीं पाई और ना ही लंबित पत्रकार आवास योजना का निस्तारण किया गया। यह तो तब स्थिति है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार सार्वजनिक मंच से पत्रकार आवास व कानून की बात कर चुके हैं। लेकिन लगता है सरकार पर हावी अफसरशाही मुख्यमंत्री की बातों तक को अनसुना कर रहे हैं।
शर्मा ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना से पीडि़त पत्रकारों के परिजनों को पचास लाख रुपये देने की बड़ी घोषणा करके देश ेंमें वाहवाही तो हासिल की, लेकिन अस्सी फीसदी दिवगंत पत्रकारों के परिजन आज भी आर्थिक सहायता को तरस रहे हैं। दिवगंत पत्रकारों की विधवा और मासूम बच्चे सचिवालय व कलेक्ट्रेट कार्यालयों पर धक्के खाने को मजबूर है।
यहीं नहीं पत्रकारों से जुड़ी कमेटियों का गठन कांग्रेस सरकार ने राज के तीन साल बाद किया। उक्त कमेटियों के चेयरमैन डीआईपीआर के प्रमुख सचिव व निदेशक है। बिना इनकी सहमति से कमेटी में शामिल पत्रकार कोई फैसला नहीं कर सकते। कमेटियों में अफसरशाही हावी है। एकाध कमेटी को छोड़कर शेष कमेटियों की मीटिंग तक नहीं हो पाई, जो सरकार और डीआईपीआ की मीडिया के प्रति सोच को दर्शाता है। जन घोषणा पत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून व पत्रकार आवास योजना समेत पत्रकार हितों के अन्य मुद्दों को लेकर जार ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रखा और उक्त मांगों को लेकर प्रदेश भर में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अभियान चलाने का फैसला किया। अधिवेशन में शामिल सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से उक्त प्रस्ताव को पारित किया। अधिवेशन में सभी राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के पदाधिकारियों ने भी अपनी रिपोर्ट पेश की।
– फैडरेशन बनाकर संगठित रुप से लड़ाई लड़े पत्रकार:रास बिहारी
सभी राज्यों की रिपोर्ट के बाद एनयूजेआई और कन्फेडरेशन ऑफ  न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजेंसीस इम्पलाइज आर्गनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा कि पत्रकार हितों के लिए एनयूजेआई अपने स्तर पर दिल्ली में सरकार के समक्ष अपनी बात रखेंगी और संसद पर प्रदर्शन भी करेगी। साथ ही राज्य ईकाईयों को सरकार के समक्ष अपने प्रतिवेदन देने और मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन चलाने का आह्वान किया। पत्रकार हितों के मुद्दों को लेकर जिस तरह से देश की सातों पंजीकृत पत्रकार यूनियन संगठित होकर लड़ाई लड़ रही है, उसी तर्ज पर राज्यों में भी सभी पत्रकार यूनियन और क्लब संगठित रुप से पहले फैडरेशन बनाएं और सामुहिक रुप से सरकार के समक्ष अपनी बात रखें और आंदोलन भी करें। सभी पत्रकार सामुहिक रुप से प्रयास करेंगे तो निश्चित ही सरकार और शासन को झुकना पड़ेगा। रास बिहारी ने राजस्थान की पत्रकार सुरक्षा कानून और पत्रकार आवास योजना की मांगों को लेकर दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं तक जन घोषणा पत्र के वादों को याद दिलाने और कांग्रेस नेताओं की प्रेसवार्ताओं में उक्त मांगों को उठाने का आश्वासन दिया। साथ ही जार के पदाधिकारियों को चुनाव प्रचार में राजस्थान आने वाले कांग्रेस नेताओं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत अन्य नेताओं के सामने उक्त मांगों को रखने और जरुरत पडऩे पर आंदोलन करने का आह्वान किया है। एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी ने समापन समारोह में लघु और मध्यम अखबारों की आर्थिक सहायता, पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने, मीडिया काउंसिल व मीडिया कमीशन के गठन की मांग, सभी राज्यों में मीडिया मान्यता समितियों के गठन की मांग को लेकर आंदोलन चलाने का ऐलान किया। अधिवेशन में श्रमजीवी पत्रकार एक्ट की बहाली, मीडिया संस्थानों में मजीठिया वेजबोर्ड लागू करने, पत्रकारों की छंटनी पर रोक लगाने और कोरोना में कम किए गए वेतन-भत्ते की बहाली, मीडियाकर्मियों को रेल यात्रा में रियायत की बहाली, पत्रकारों को पेंशन और स्वास्थ्य बीमा, ग्रामीण इलाकों में पत्रकारों की सुरक्षा, अधिस्वकीरण, बीमा, आवास समेत अन्य सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए। मीडिया जगत की मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेडऩे का ऐलान किया। रास बिहारी ने स्पष्ट किया कि एनयूजेआई का आंदोलन किसी सरकार के खिलाफ  नहीं है। यह आंदोलन पत्रकारिता और पत्रकारों के संरक्षण, सुरक्षा, आजीविका, स्वास्थ्य और उनके परिवारों के यथोचित जीवन यापन के नीति निर्धारण को लेकर होगा। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए मीडिया की गिरती साख को बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा फेक न्यूज और फर्जी पत्रकारों के कारण मीडिया की साख लगातार गिरती जा रही है। अधिवेशन में फेक न्यूज के खिलाफ  प्रभावी कानून और फर्जी पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय पत्रकार रजिस्टर बनाने का मांग की गई। अधिवेशन में बिहार में पत्रकार विमल यादव की हत्या को लेकर आक्रोश जताया गया।
गौरतलब है कि 26-27 अगस्त को दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, चुनाव प्रबंधन कमेटी भाजपा राजस्थान के संयोजक और पूर्व सांसद नारायण पंचारिया, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया, फस्र्ट इंडिया चैनल के प्रधान संपादक पवन अरोड़ा, वरिष्ठ पत्रकार जार के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा महानगर टाइम्स के प्रधान संपादक गोपाल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा, डॉ. पंकज सिंह, एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी, महासचिव प्रदीप तिवारी, उपाध्यक्ष विमलेश शर्मा, राकेश कुमार शर्मा, संजय सैनी, जार के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष शर्मा, प्रदेश महासचिव भाग सिंह आदि ने पत्रकारिता मुद्दों पर अपने विचार रखे। जार जयपुर ग्रामीण के अध्यक्ष  जगदीश शर्मा ने ग्रामीण पत्रकारों की मांगों से संबधित मांग पत्र अतिथियों के समक्ष रखा।

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