– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। देश-दुनिया में सभी धर्मों के लिए आस्था का केन्द्र सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में दस साल पहले हुए बम धमाकों का फैसला बुधवार को सीबीआई कोर्ट जयपुर ने सुनाया। कोर्ट ने बम धमाकों के लिए तीन आरोपियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें दोषी माना है। कोर्ट ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को बम धकाके के षड्यंत्र और बम धमाकों के लिए दोषी करार दिया। सुनील जोशी का मर्डर हो चुका है। देवेन्द्र व भावेश पटेल जेल में है। साथ ही अन्य आरोपी असीमानंद समेत 7आरोपियों को बरी कर दिया। दोषी तीनों आरोपियों को सजा का फैसला 16 मार्च को सुनाया जाएगा। अजमेर दरगाह में हुए बम धमाके में तीन जायरीन की मौत हो गई थी और पन्द्रह घायल हो गए थे। न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए फैसला की तारीख 16 मार्च तय की है। कोर्ट ने प्रकरण के आरोपी असीमानंद, चंद्रशेखर, लोकेश शर्मा, मुकेश वासानी, हर्षद, भरतेश्वर उर्फ भरत, मेहुल को बरी कर दिया है। आठ मार्च को फैसले की तारीख कोर्ट ने तय की थी, लेकिन फैसला टाइप नहीं होने के कारण आठ मार्च को फैसले की तारीख तय की। तीन आरोपियों को दोषी व शेष आठ को बरी के आदेश दिए हैं कोर्ट। तीन आरोपी फरार हैं।
-टाइमर बम से धमाके, तीन मरे, पन्द्रह घायल
एनआईए रिपोर्ट के मुताबिक, 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर के आहते में बम धमाका हुआ। बम धमाके के वक्त बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद थे। धमाकों से दरगाह परिसर दहल उठा। अहाते में चारों तरफ खून से लथपथ महिला और पुरुष पड़े हुए थे। कुछ के हाथ-पैर गायब थे। चारों तरफ खून व मांस के लोथड़े बिखरे हुए थे। सूचना पर पुलिस पुलिस, खादिमों और जायरीनों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बम धमाकों में तीन जनों की मौत हुई तो पन्द्रह से अधिक गंभीर घायल हो गए। पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया तो परिसर में एक लावारिश बैग मिला, जिसमें टाइमर डिवाइश वाला जिंदा बम था। बम निरोधक दस्ते ने जिंदा बम को वहां से हटाकर निष्क्रिय किया। पहले सीबीआई और बाद में भगवा आतंकवाद के संगठनों के नाम सामने आने पर यूपीए सरकार ने जांच एनआईए को सौंपी। एनआईए ने अभिनव भारत के असीमानंद, भावेश पटेल समेत तेरह आरोपियों की गिरफ्तारी की और इनके खिलाफ चालान पेश किया। स्वामी असीमानन्द समेत आठ जमानत पर है और शेष जेल में है। एक की मौत हो चुकी है। मामले में तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। (जनप्रहरी एक्सप्रेस डॉट कॉम)
– मोबाइल सिमों से खुला राज
एनआईए की ओर से पेश चालान के मुताबिक, अजमेर दरगाह बम धमाके स्थल की जांच में क्षतिग्रस्त मोबाइल व सिमें मिली। वहीं थैले में मिले जिंदा बम के साथ लगी मोबाइल सिम की आइडी से आरोपियों तक पहुंचने में सफलता मिली। ये सिम बिहार व झारखंड से जारी हुई थी। सभी सिमें दूसरे व्यक्तियों के नाम से कूटरचित दस्तावेज से ली गई। वास्तविक लोग सामान्य व मजदूर पेशे से जुड़े मिले थे। पूछताछ में एक राजनीतिक दल के नेता से भी पूछताछ की गई। पडताल के बाद मोबाइल सिमों के तार अभिनव भारत संगठन के गिरफ्तार सदस्यों से मिले तो उन्हें गिरफ्तार किया गया। (जनप्रहरी एक्सप्रेस डॉट कॉम)
– इन्हें पकड़ा था
एनआईए ने जांच के बाद बम धमाकों के पीछे असीमानंद व उनके साथियों का हाथ माना। सभी तेरह आरोपियों को गिरफ्तार करके सीबीआई कोर्ट में अलग-अलग चालान पेश किया गया। एनआईए ने असीमानंद के अलावा भावेश पटेल, देवेन्द्र गुप्ता, चंद्रशेखर, लोकेश शर्मा, मुकेश वासानी, हर्षद, भरतेश्वर उर्फ भरत, मेहुल की गिरफ्तारी हुई। मामले की सुनवाई के दौरान 149 गवाह एनआईए ने पेश किए, जिसमें 26 गवाह पक्षद्रोही भी हो गए। 451 दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए गए।
(जनप्रहरी एक्सप्रेस डॉट कॉम)
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