जयपुर। देश के बहुचर्चित सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती परिसर में दस साल पहले हुए बम धमाकों के मामले में एनआईए कोर्ट जयपुर ने देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है, वहीं इस मामले में एनआईए की ओर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के टॉप फाइव पदाधिकारियों में शुमार इन्द्रेश कुमार, कई बम धमाकों में आरोपी साध्वी प्रज्ञा समेत चार जनों को प्रकरण में क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल उठाते हुए एनआईए के डीजीपी से 28 मार्च तक अंतिम प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करने को कहा है। एनआईए के अनुसंधान में इस लापरवाही पर कोर्ट का सख्त रुख प्रतीत होता है। ऐसे में साध्वी प्रज्ञा, इन्द्रेश कुमार, समंदर सिंह और जयंती चौधरी पर कानूनी शिकंजा कस सकता है। कोर्ट के रुख को देखते हुए मामले से सीधे तौर पर जुड़े एडवोकेट्स, आरोपी पक्ष के शुभचिंतकों में अंदेशा है कि एनआईए जो अंतिम रिपोर्ट पेश करेगी (जो संभवतया: पहले की तरह चारों को क्लीन चिट दिए जाने वाली ही होगी, ऐसी चर्चा है), उसमें अगर कोई खामी दिखी तो कोर्ट मामले में प्रसंज्ञान ले सकता है। वैसे भी एनआईए ने शुरुआती जांच में माना था कि अजमेर के बम धमाकों के षड्यंत्र में साध्वी प्रज्ञा, समंदर सिंह, जयंती के अलावा इन्द्रेश कुमार की लिप्तता मानते हुए पूछताछ की थी और इनके खिलाफ जांच पेंडिंग रखी थी। हालांकि मामले में फैसले से कुछ दिन पहले एनआईए ने कोर्ट में अर्जी लगाकर चारों को क्लीन चिट दे दी। इनकी कोई लिप्तता नहीं मानी। एनआईए कोर्ट न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने आदेश में कहा है कि अजमेर बम धमाके में इन्द्रेश कुमार, साध्वी प्रज्ञा समेत चारों के खिलाफ एनआईए रिपोर्ट विधि सम्मत नहीं है। कोर्ट ने 28 मार्च तक अंतिम प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करने को कहा है, जिसके तहत एनआईए को स्पष्ट बताना होगा कि चारों की बम धमाके में कोई लिप्तता नहीं है। कोर्ट ने मामले में फरार चल रहे रामजी, सुरेश नायर और संदीप डांगे के बारे में रिपोर्ट मांगी है।

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