लखनऊ। मीडिया चैनल और सर्वे कंपनियों के एग्जिट पोल पर यकीन करें तो यूपी में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल रहा है। त्रिशुंक विधानसभा के आसार बन रहे हैं। हालांकि भाजपा, सपा-कांग्रेस और बसपा पूर्ण बहुमत के दावे जता रही हैं, लेकिन यूपी में चतुष्कोणीय मुकाबले को देखते हुए हर कोई यह संदेह जता रहा है कि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने मुश्किल है। इसे देखते हुए राजनीतिक दलों ने 11 मार्च को आने वाले नतीजों से पहले ही सरकार बनाने के लिए जोडतोड शुरु कर दी है। समान विचारवाले छोटे दलों, निर्दलीयों पर तीनों प्रमुख पार्टियों ने डोरे डालने शुरु कर दिए हैं। क्योंकि बहुमत के लिए एक-एक सीट खासी महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। यह भी सामने आ रहा है कि यूपी में भाजपा की सरकार बनाने से रोकने के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस आपस में गठजोड कर सकते हैं। इनका मानना है कि अगर भाजपा को रोका नहीं गया तो जिस तरह पिछले लोकसभा चुनाव में सपा,बसपा और कांग्रेस की दुर्गति हुई है, वैसे ही आने वाले समय में भी हो सकती है। क्षेत्रीय क्षत्रपों व दलों को अस्तित्व खत्म हो सकता है। भाजपा के इस भय को देखते हुए सपा-कांग्रेस और बसपा सरकार बनाने के लिए राजी हो सकते हैं। त्रिशुंक विधानसभा को देखते हुए सपा,बसपा और कांग्रेस नेताओं ने बैठकें भी शुरु कर दी है। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए कांग्रेस,सपा और बसपा महागठबंधन कर सकते हैं और पूर्व की तरह साझा सरकार बना सकते हैं। अंदरखाने वार्ताओं का दौर शुरु हो गया, हालांकि बाहरी तौर पर सभी दलों के नेता किसी भी तरह के गठबंधन से इंकार कर रहे हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सपा,बसपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। बसपा तो एक भी सीट जीत नहीं पाई थी। कांग्रेस भी अपने परम्परागत रायबरेली व अमेठी से जीती। सपा भी अपने गढ़ की पांच सीटों तक सिमट कर रह गई। भाजपा की रफ्तार को रोकने और खुद का क्षेत्रीय अस्तित्व बचाए रखने के लिए बहुमत का जादुई आंकडा नहीं मिलने पर महागठबंधन की गणित पर विचार करने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यूपी में भाजपा का कमल खिलने से रोकने के लिए बसपा प्रमुख मायावती सपा की साइकिल पर सवार हो सकती है। यह भी अंदेशा है कि अगर किसी को भी बहुमत नहीं मिला और महागठबंधन नहीं बना पाया तो राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है। ऐसा हुआ तो भाजपा को ही फायदा होगा। त्रिशुंक विधानसभा के संकेतों को देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बयानों में संकेत भी दे चुके हैं वे भाजपा को रोकने के लिए बसपा से हाथ मिला सकते हैं। वे नहीं चाहते यूपी में राष्ट्रपति शासन लागू हो। विश्लेषकों का कहना है कि कमल खिलने से रोकने के लिए भतीजा और बुझा साझा सरकार बना सकते हैं। इसमें कांग्रेस व दूसरे छोटे दलों का भी साथ मिल सकता है। वैसे भी मायावती को अब सपा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कोई शिकायत नहीं है। अखिलेश मायावती को सम्मान देते रहे हैं। मायावती का मुलायम सिंह यादव से छत्तीस का आंकडा रहा है। लेकिन अब मुलायम सिंह और शिवपाल यादव की उनकी ही पार्टी में ज्यादा अहमियत नहीं रही है। ऐसे में अखिलेश और मायावती त्रिशुंक विधानसभा बनने पर साथ आ सकते हैं। यूपी की तस्वीर क्या रहेंगी यह तो कल 11 मार्च को सामने आ जाएगा, जब यूपी समेत पांच राज्यों के चुनाव नतीजे घोषित होंगे। चुनाव नतीजों के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएंगी, गठबंधन सरकार बनेंगी या किसी दल को ही पूरा बहुमत मिल जाए।

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