Lalu Yadav

पटना। बिहार में नेताओं के भाषा का पतन होता जा रहा है, खासकर लालू और उनका परिवार महागठबंधन टूटने के बाद भाषा की मर्यादा भूलता जा रहा है। रविवार को भागलपुर में राजद द्वारा आयोजित सृजन घोटाले की रैली में जिस तरह लालू यादव उनके दोनों बेटों, तेजस्वी और तेजप्रताप ने मुख्यमंत्री और आरएसएस के खिलाफ बयानबाजी की, जिस तरह भाषा की मर्यादा को तार-तार किया वह राजनीति के लिए अच्छी नहीं। भागलपुर की रैली में सबसे पहले लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने अपने भाषण में कहा कि सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के फोटो को देखकर लगता है जैसे वह गर्भवती महिला हों। उन्होंने सुशील मोदी के लिए वैसी ही आपत्तिजनक टिप्पणी की।

भागलपुर के सैंडिस मैदान में सृजन घोटाले पर महासंग्राम का एलान करते हुए राजद अध्यक्ष लालू यादव ने इसे महाघोटाला करार देते हुए व्यक्तिगत आरोप भी लगाए और इस दौरान शुचिता का भी ख्याल नहीं रखा। लालू ने कहा कि इसमें शामिल जितने भी नेता हैं, उनमें से अधिकतर की गर्लफ्रेंड हैं। हालांकि लालू ने सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन के बारे में तीखी टिप्पणी की। लालू ने कहा कि एक महिला को केक खिलाते हुए उनकी तस्वीर उन्होंने देखी है। कुछ और नेताओं की भी महिलाओं के साथ तस्वीर देखी है। उन्होंने एक नहीं कई बार नीतीश कुमार की भागलपुर यात्रा को लेके ऐसे सवाल किये जो निजी बातचीत में भी लोग दबी जुबान से चर्चा करते हैं। लालू ने कहा कि आखिर जब नीतीश भागलपुर आते हैं तब वे अपने मित्रों के घर क्यों रात्रि प्रवास करते हैं? इसके अलावा भागलपुर में ही स्थित एक नेचुरोपैथी सेंटर को राज्य सरकार द्वारा दिए गए 50 करोड़ के अनुदान पर भी उन्होंने आपत्ति जताई।

जनता दल यूनाइटेड के बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह का कहना हैं कि लालू यादव जिस तरह नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं वो यही साबित करता है कि उनके पास राजनीतिक मुद्दा अब बचा नहीं हैं और चरित्र हनन पर उतर आये हैं। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इस स्तर तक लालू यादव ही गिर सकते हैं। राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि इसके लिए लालू यादव और तेजप्रताप यादव को मात्र जिम्मेवार ठहराकर आप पूरी समस्या का निदान नहीं ढूंढ सकते। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तो यहां तक कह डाला था कि नीतीश का डीएनए ख़राब हैं लेकिन नीतीश अपने राजनीतिक स्वार्थो में फिर उसी मोदी की शरण में चले गए। उन्होंने कहा कि जहां तक भाषा की आक्रामकता का सवाल है तो वह राजनीति हो या मीडिया सब जगह अब लोग हिंसक भाषा का प्रयोग जानबूझकर अपने विरोधियों को उत्तेजित करने के लिए कर रहे हैं। इससे पहले भी लालू यादव ने एक बार नीतीश कुमार को दोगला कहा था और पिछले हफ्ते मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कहा था कि नीतीश की हालत दो नाव पर सवारी करने वाले की तरह हो गयी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ भी हो भाषा की मर्यादा नहीं भूलते। उन्होंने आज भी कहा कि मेरे बारे में क्या-क्या कहा जा रहा है? मैं सब देख रहा हूं, सुन रहा हूं लेकिन मैं अपनी भाषा की मर्यादा नहीं भूलता। जिन्हें जो कहना हो कहें। कुछ ही दिनों में सबको पता चल जाएगा। सोमवार को भागलपुर में हुई राजद की रैली में अपने ऊपर हो रही भाषा के इस्तेमाल पर कहा  कि उनके लिए जैसी भाषा का इस्तेमाल हो रहा हैं वह खुद स्तब्ध हैं। कुछ वर्ष पूर्व छपरा के एक चुनावी सभा में आपत्तिजनक भाषण देने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर अब नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री लल्लन सिंह ने एक मानहानि का मुक़दमा किया था जिसमें राबड़ी देवी को कोर्ट में गवाही देनी पड़ी थी लेकिन बाद में गठबंधन होने के बाद लालू यादव के आग्रह पर लल्लन सिंह ने इस मुकदमा को वापस ले लिया था। बीते कुछ महीनों में जिस तरह राजनीतिक दलों में खासकर राजद में राजनीतिक बयानबाजी को लेकर जिस तरह भाषा की जैसे-जैसे मर्यादा टूट रही हैं, एेसी स्थिति राजनीति के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

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