-डेयरी बूथ कलेक्शन एजेन्ट को दिन-दहाड़े लूटने का मामला, कोर्ट ने डीजीपी को दिए कार्यवाही करने के निर्देश
जयपुर। गांधी नगर थाना इलाके में एक साल पहले 2० मई, 2०17 को दिनदहाड़े डेयरी बूथ कलेक्शन एजेन्ट पर जान लेवा हमला कर ढाई लाख रुपए की लूट करने के मामले में तत्कालीन थानाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने मुल्जिमों से मिली भगत कर दूषित अनुसंधान किया, जिससे एडीजे-4 जयपुर मेट्रो कोर्ट ने मामले में गिरफ्तार किए गए पवन कुमार वर्मा और भूपेन्द्र कुमार अटल निवासी झालाना डूंगरी को सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
कोर्ट ने निर्णय की एक प्रति डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को भ्ोजते हुए अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध लापरवाही पूर्वक अनुसंधान किए जाने के संबंध में कार्यवाही करने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा कि अनुसंधान अधिकारी (इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह) ने लापरवाही पूर्वक अनुसंधान किया है। अभियुक्तगण को अपराध में लिप्त करने की जो संभावित साक्ष्य जैसे घटनास्थल से अभियुक्त के वाहन के टायरों के निशान सामान को जलाए जाने वाले कच्चे जंगल से अभियुक्तगण के जूते, चप्पलों के निशान, बरामद सरिए से अभियुक्तगण के फिंगर प्रिंट, अभियुक्त के कब्जे से बरामद मोबाइल से उनकी घटनास्थन की लोकेशन पता करना जैसे प्रयास नहीं कर लापरवाही पूर्वक अनुसंधान किया है।
जांच अधिकारी ने मुल्जिमों से जब्त 1,96,9०० रुपयों की पहचान पीड़ित जितेन्द्र पाल सिंह से नहीं करवाई। रुपयों के बारे में डेयरी बूथों से भी कोई पूछताछ नहीं की। उपरोक्त रुपयों को मुल्जिमों ने भी अपने नहीं माने। किसी के भी क्लेम नहीं करने पर कोर्ट ने जब्त शुदा रुपयों को सरकार को जब्त करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस की सभी कार्यवाही को सन्देहास्पद बताया है। जांच अधिकारी ने दोनों मुल्जिमों से मोबाइल फोन बरामद किए थ्ो। लेकिन लोकेशन ट्रेस आउट कराने के लिए कोई प्रयास ही नहीं किया। हमला करने वाले पाईप से भी फिंगर प्रिन्ट लेने का प्रयास नहीं किया। लूटे गए सामान को जंगल में अधजली अवस्था में कुछ सामान जब्त किया। पुलिस ने केवल डेल लेपटॉप कम्पनी का मोनोग्राम, केलकुलेटर के टुकड़े व छोटा सेल, चेन के हुक व पेन की स्प्रिंग ही जब्त की। पुलिस की इस जब्ती को भी कोर्ट ने सन्देहपूर्ण बताया है।
पीड़ित को उक्त सामान नहीं दिखाया। राख जब्त नहीं की। एफएसएल जांच कराने का प्रयास नहीं किया। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि लैपटॉप में सम्पूर्ण भाग प्लास्टिक का नहीं होता। कुछ पेच व अन्य आईटम मेटैलिक भी होते हैं। रिकार्डनुसार 22 मई, 2०12 को सुबह 9 बजे जांच अधिकारी को मुल्जिमों ने रुपए छिपाने की जगह बता दी थी। लेकिन 27 घण्टे बाद उनके घरों में जाकर रुपए बरामद किए थ्ो। रिहायशी इलाका होने के बाद भी किसी स्थानीय नागरिक को गवाह नहीं बनाया और बनाने का प्रयास भी नहीं किया गया। इससे कोर्ट ने जांच अधिकारी का व्यवहार असामान्य बताया है। आईओ ने मोटर साईकिल का मैकेनिकल मुआयना तक नहीं कराया। मालिक कौन था, जांच ही नहीं की। एजेन्ट से लूटे गए बैग का जांच अधिकारी ने पता लगाने का प्रयास ही नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि धारा 27 की सूचनाएं फर्जी तैयार की गई। पुलिस ने पीड़ित के चोट प्राणघातक बताई। डॉक्टरों ने सामान्य बताई। कोर्ट ने जांच अधिकारी की सम्पूर्ण साक्ष्य को विश्वसनीय नहीं माना है।