नई दिल्ली। कश्मीर में गुरुवार की रात जामिया मस्जिद के बाहर जम्मू-कश्मीर के दबंग पुलिस अफसर अयूब पंडित की कुछ उपद्रवियों ने हत्या कर दी। डीएसपी अयूब पंडित की हत्या को लेकर जम्मू-कश्मीर सहित देशभर के लोगों में रोष देखने को मिला तो उनके परिवार के भी सांत्वना भी व्यक्त की गई। फिर भी लोगों के जहन में एकाएक सवाल कौंध गया कि मुस्लिम होने के बाद भी उनके सरनेम में पंडित लगाने के पीछे की वजह क्या रही। क्या वे हिंदू परिवार से हैं।

लोग इस गफलत में ही उलझे रहे। उनके सरनेम के पीछे पंडित लिखने का एक कारण उभरकर सामने आया वो लोगों को चौंकाने वाला ही रहा। कश्मीर में आज भी कुछ मुस्लिम अपने नाम के पीछे सरनेम पंडित ही लगाते हैं। कश्मीर में 2 तरह के पंडित निवास करते हैं। एक वे हिंदू हैं व दूसरे वे जो मुस्लिम है। ये वो मुस्लिम हैं, जिन्होंने इस्लाम को कबूला और ब्राह्मण से मुसलमान बन गए।

प्रसिद्ध लेखक मोहम्मद देन फौक अपनी प्रसिद्ध किताब कश्मीर कौम का इतिहास में पंडित शेख नामक अपने अध्याय में लिखते हैं कि कश्मीर में इस्लाम के आने से पहले सभी हिंदू थे। इन हिंदूओं में ब्राह्मण भी शामिल थे तो दूसरी जाति के लोग भी थे। ब्राह्मणों एक वर्ग ऐसा भी था, जिनका काम ही उस दौर में पढऩा व पढ़ाना था। इस्लाम को कबूल करने के बाद इस फिरके ने पंडित के टाइटल को बड़े ही शान के साथ कायम रखा। यही वजह रही कि ये मुस्लिम होने के बाद भी अब तक पंडित कहलाते रहे हैं। और मुसलमानों का पंडित फिरका शेख भी कहलाता है। सम्मान स्वरुप इन्हें ख्वाजा भी कहा जाता है। यहां मुस्लिम पंडितों की सबसे ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में ही निवास करती है। मोहम्मद देन फौक ने अपने अध्याय में यह भी बताया कि कश्मीर में बट, भट भी मूलत: पंडित ही थे। इस्लाम कबूलने से पहले कश्मीरी पंडित न केवल हिंदूओं में ही सर्वेश्रेष्ठ थे वरन ब्राह्मणों में भी सर्वश्रेष्ठ ही थे।

LEAVE A REPLY