जयपुर। इस साल का पहला चंद्र ग्रहण शनिवार 11 फरवरी को देखा गया। चंद्र ग्रहण सुबह 4 से शुरू हुआ जो करीब 8.30 बजे तक चला। चंद्र ग्रहण की यह खगोलिय घटना इस साल की पहली घटना थी। साथ ही साथ खास भी थी। क्योंकि इस दिन पूर्णिमा के चांद के साथ धूमकेतु 45-पी और ग्रहण को देखा गया। ग्रहण का प्रभाव खत्म होने के बाद ही मंदिरों में आरती के कार्यक्रम के हुए तो दान- पुण्य का दौर भी चला। इस वर्ष अब सूर्यग्रहण 26 फरवरी, चंद्र गहण 7-8 अगस्त व फिर सूर्यग्रहण 21 अगस्त को होगा। खगोलवेत्ताओं के अनुसार अब इसी सीरिज का अगला ग्रहण वर्ष 22 फरवरी 2033 को देखा जाएगा। इतने लंबे अंतराल के बाद देखे जाने वाले इस ग्रहण की स्थिति से स्पष्ट पता लगता है कि यह किस तरह अहम था। धूमकेतु 45-पी को न्यू ईयर कोमेट व नीला धूमकेतु भी कहा जाता है। इसके पीछे कारण यह भी है कि इस धूमकेतु ने वर्ष 2016 के अंत में ही पृथ्वी की तरह बढऩे को लेकर अपना रुख किया। इसे नीला धूमकेतु इस लिए कहा गया क्योंकि इसे नग्न आंखों से देखा गया। यद्दपि भारत में इसे नहीं देखा ज सका फिर भी यूरोपियन देश अमेरीका व ग्रेट ब्रिटेन में इसे लोगों ने निहारा गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहण एक सामान्य खगोलिय घटना है। जिसमें सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा अपनी गति करते हुए एक निश्चित समय पर एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। फिर भी ज्योतिष में इस घटना को खासा प्रभावकारी माना गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चंद्र ग्रहण की घटना का राशियों पर खासा प्रभाव होता है। इससे राशि में बैठा चंद्र उग्र हो जाता है। वहीं कुंवारों के लिए विवाह सरीखे कार्यों में व्यवधान आता है। ज्योतिष से जुड़े जानकार बताते हैं कि ग्रहण काल के दौरान कुछ कार्यों से बचना ही चाहिए। मसलन यात्रा कार्य से बचे, भोजन न करे, पशुओं का दूध न दुहे, बाल-कपड़ों की सफाई न करे, संभोग न करे, फूलों को न तोड़े, गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकले व अपने पास नारियल रखे। ताकि ब्रह्माण्ड की नकारात्म ऊर्जा उन तक न पहुंच सके।

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