इंदौर। देश में 434 शहरों में स्वच्छता को लेकर सर्वेक्षण में इंदौर ने सभी शहरों को पछाड़ते हुए पहले पायदान पर आ गया। देश के सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर पहली पायदान पर आने के मामले में हालांकि शहर के प्रत्येक नागरिक की महती भूमिका रही। फिर भी इसमें अहम भूमिका रही गीत और संगीत की। दरअसल शहर के हर दरवाजे से कचरा जमा करने के लिए दिन रात चलने वाली 350 छोटी गाडिय़ां सड़कों और गली मोहल्लें में लगातार फेरे लगाती रहती हैं। धीमी गति से चलने वाली इन गाडिय़ों पर लगे लाउड स्पीकरों में ख्यात गायक कलाकार कैलाश खेर का गाया स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने और शान की आवाज में हल्ला…हो हल्ला.. इंदौर को स्वच्छ बनाना है, अब हमने ये ठाना है बजता रहता है। दिनभर फेरे लगाते रहने के कारण शहर के हर शख्स और बच्चे को इन गानों के बोल पूरी तरह रट गए। इन गानों की आवाज जिस गली में बजती सुनाई देती है, वहीं लोग अपने घरों, दुकानों का कचरा लेकर बाहर आ जाते हैं और कचरा निर्धारित गाड़ी में डाल देते हैं। जिससे शहर में कचरे का निस्तारण बेहतर तरीके से हो रहा है। इसमें भी गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग डाला जाता है। नगर निगम के अधिकारी देवेंद्र सिंह ने बताया कि पहले घरों और प्रतिष्ठानों के बाहर कचरे के निस्तारण को लेकर कोई विकल्प नहीं था, लोग जहां तहां कचरे को डाल देते थे। सालभर पहले इन छोटी गाडिय़ों के जरिए हर दरवाजे से कचरे को जमा करने की मुहिम शुरू की गई। दो पारियों में यह कार्य किया गया। पहली पारी सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक रहती है, जिसमें घर घर से कचरा एकत्र किया जाता था। जबकि दूसरी पारी शाम चार बजे से रात 12 बजे तक वाणिज्यिक क्षेत्रों से कचरा जमा किया जाता था। इसके सार्थक परिणाम सामने आए और सफाई के मामले में इंदौर देश में पहले नम्बर पर आया। केन्द्र ने जनवरी माह में इंदौर के शहरी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया था। 12,549 एकल शौचालय बनाए गए, 174 सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की हालत दुरुस्त की गई। साथ ही 17 चलित शौचालय खरीदे गए। स्वच्छा सर्वेक्षण को लेकर केन्द्रीय शहरी केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री एम वैंकया नायडू ने सबसे स्वच्छ व सबसे गंदे शहरों की सूची जा की। इनमें भोपाल दूसरे पर तो विशाखापत्तनम तीसरे स्थान पर रहा। टॉप 50 शहरों की सूची में गुजरात के 12 तो मध्यप्रदेश के 11 शहर रहे।

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